बारिश के बीच 5KM खतरनाक रास्ते पर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाई महिला

Tuesday, Jul 30, 2019 - 12:04 PM (IST)

सैंज (ब्यूरो): आज के समय में भले ही विकास की रफ्तार बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही हो, सरकार हर क्षेत्र में विकास कार्यों के नए कीर्तिमान स्थापित कर अपनी पीठ थपथपाने का प्रयास भी करती हो लेकिन सैंज घाटी के कुछ ऐसे भी गांव हैं जहां के ग्रामीणों से अभी भी विकास कोसों दूर है। घाटी की रैला पंचायत के आधा दर्जन गांवों के लोग आज भी सड़क सुविधा के अभाव में बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन निर्वहन कर रहे हैं। इस पंचायत के पाशी, खड़गचा, ठतिधार, कुंडर, कुटला व मझान के लोग अचानक गम्भीर बीमारी जैसी आपात स्थिति में जिस तरह से असहाय हो जाते हैं यह देखकर हर किसी का हृदय पिघल जाएगा। शनिवार को पाशी गांव की मनहरी देवी (91) व थाटीधार गांव की हरी देवी (89) के अचानक बीमार होने पर परिवार व गांव के लोगों की बेबसी एक बार फिर उनके सामने चट्टान बनकर खड़ी हो गई।  

5 किलोमीटर के खतरनाक रास्ते पर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाई महिला

बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी जिसके चलते बुजुर्ग महिलाओं को अस्पताल पहुंचाना बड़ी चुनौती थी। पाशी गांव की मनहारी देवी के अचानक बीमार होने पर ग्रामीण बेहद परेशान हुए। गांव में न तो किसी तरह का अस्पताल है और न ही यातायात के लिए सड़क। बीमार महिला के बिगड़ते हालात को देख कर ग्रामीणों ने हौसला करते हुए भारी बारिश के बीच कुर्सी पर उठाकर करीब 5 किलोमीटर के खतरनाक रास्ते पर सफर तय कर बुजुर्ग महिला को सड़क तक पहुंचाने के बाद अस्पताल तक पहुंचाया गया। उनका यह सफर जिसने भी देखा दंग रह गया और हर किसी की जबान पर यही था कि सड़क न होने और पिछड़े होने का दंश आखिर ये लोग कब तक झेलेंगे।

ग्रामीणों ने की गांव को सड़क से जोड़ने की मांग

पंचायत निवासी भगत राम, चुनी लाल, बुद्ध राम, प्रेम सिंह, यान सिंह, केहर सिंह व भूमि सिंह आदि का यही कहना कि देश की आजादी के दशकों बाद भी हम गुलामों का जीवन जी रहे हैं। पंचायत प्रधान खिमदासी उपप्रधान बालमुकुंद ने कहा प्रदेश में कई सरकारें आई और गई लेकिन रैला पंचायत के अति दुर्गम गांव पाशी खड़गचा व मझान के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है। आलम यह है लोगों को खाने-पीने का सामान भी 5 किलोमीटर तक पीठ पर उठाकर ले जाना पड़ता है। वहीं असुविधा का दंश झेल रहे पाशी के लोगों को स्वास्थ्य के नाम पर भी कुछ हासिल नहीं है। गांवों में कोई बीमार हो जाए या महिला प्रसूता होने वाली हो तो गांववासियों को इकट्ठा हो कर कुर्सी या चारपाई पर उठाकर 5 किलोमीटर दूर पहुंचने पर सड़क तक ले जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है इन गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए।


 

Ekta