47 साल बाद दिखा अद्भुत नजारा, ऐतिहासिक लोहारा खड्ड से निकल रहा दूध

Sunday, Jun 24, 2018 - 02:27 PM (IST)

ऊना (हिमांशु): उतरी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता श्री चिंतपूर्णी निकट सुरमई पहाड़ियों और चीड़ के हरे भरे जंगलों के बीच लोहारा स्थित ऐतिहासिक खड्ड में शनिवार खड्ड के बहते पानी में से एक बार दूध निकलने लग पड़ा। ये अद्भुत अविश्वसनीय अकल्पनीय नजारा एक बार फिर 47 साल बाद दोबारा देखने को मिला है। इस खड्ड के 1947, 1971 में भी इस खड्ड का पानी का रंग बदल चुका है। उल्लेखनीय है कि खड्ड जब अपना स्वरूप बदलती है तो पूरे देश की राजनीति, आर्थिक और समाजिक दिशा पर प्रभाव पड़ता है। बेशक आपको ये बात हैरान कर सकती है।  


1947 में 10, 12 अगस्त को इस खड्ड का रंग लाल हुआ था और दुर्भाग्यपूर्ण बात ये रही थी कि देश के विभाजन के दौरान खूब खून खराबा हुआ और कई मौत के मुंह में चले गए थे। वक्त बीतता गया और पानी ने भी अपना स्वरूप बदल लिया, लेकिन 1971 में एक बार फिर पानी ने अपना रंग बदला। इस बार पानी का रंग दूधिया था या फिर यू कहे खड्ड में से दूध निकलने लग पड़ा। इस बीच देश पर एक बार फिर संकट आया जिस दौरान पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध हुआ और भारत ने इस युद्ध में पाकिस्तान को तमाम विपरीत परिस्थितियों में युद्ध में पटकनी दी और जीत का परचम लहराया।


जिस दौरान ये बात साफ हो गई थी कि खड्ड में अगर लाल पानी बहे तो नुकसान का प्रतीक है, अगर पानी का रंग दूधिया हो तो देश की खुशहाली का प्रतीक है। अब 47 वर्ष बाद जब एक बार फिर गोरी गंगा का पानी दूधिया हुआ है तो गांववासी इसे खुशहाली का प्रतीक बता रहे हैं। इस खड्ड समीप पांडवों द्वारा निर्मित एक मंदिर भी है जहाँ रोजाना श्रद्धालुओं की आवाजाही भी होती है और ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर इच्छा बर मिलता है और यहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटा। 

Ekta