4 साल बाद ताबूत में अवशेष बन लौटे हिमाचल के बेटे, अंतिम संस्कार में उमड़ा हुजूम (Video)

Tuesday, Apr 03, 2018 - 03:52 PM (IST)

शिमला: अपना और अपने परिवार का भविष्य संवारने का सपना लिए रोजगार की तलाश में इराक गए हिमाचल के 4 बेटे एक दिन ऐसे लौटेंगे ऐसी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। 4 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद जिस परिवार को अपने घर के सदस्य के जीवित होने की उम्मीद थी वो उम्मीद अवशेष घर पहुंचने के बाद पूरी तरह से टूट गई। इराक के मोसुल में आई.एस. द्वारा मारे गए हिमाचल के युवकों का मंगलवार को उनके पैतृक गांव में पूरे रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया। हर तरफ चीख पुकार गूंज रही थी। 


सुंदरनगर
मंगलवार सुबह करीब 10 बजे जैसे ही हेमराज के मृत शरीर के अवशेष का ताबूत घर पहुंचा तो पूरा माहौल गमगीन हो गया। हर चेहरा मायूस था और हर आंख नम थी। दुख इस बात का भी था कि किसी को भी अंतिम दर्शनों का मौका नहीं मिल सका। क्योंकि अवशेष इस हालत में नहीं थे कि उन्हें दिखाया जा सके। इसलिए ताबूत को बंद ही रखा गया। मृतक हेमराज की पत्नी निर्मला देवी ताबूत के घर पहुंचते ही बेसुध हो गई। करीब आधे घंटे तक अवशेषों के ताबूत को घर पर रखा गया और इसके बाद इसे एम्बुलेंस के माध्यम से ही शमशानघाट ले जाया गया। जहां हेमराज के 8 वर्षीय स्पुत्र ध्रुव ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।


इस दौरान प्रशासन की तरफ से एसडीएम सुंदरनगर राहुल चौहान, जिला रैडक्रास सोसायटीके सचिव ओपी भाटिया और तहसीलदार सदर नरेंद्र पाल सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। मृतक हेमराज के परिजनों ने मांग उठाई कि उसकी पत्नी निर्मला देवी को सरकारी नौकरी दी जाए, क्योंकि परिवार के पास आजीविका कमाने का अब कोई साधन नहीं बचा है। वहीं पूर्व विधायक सोहन लाल ठाकुर ने सरकार से पीड़ित परिवार को और सहायता राशि देने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि आम दुर्घटना पर ही सरकार चार लाख मुआवजा देती है जबकि यह आम दुर्घटना नहीं है। इसलिए पीड़ित परिवार को कम से कम 10 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए। 


फतेहपुर के कस्बा धमेटा के संदीप राणा के अंतिम संस्कार में प्रशासन की ओर से एसडीएम फतेहपुर और बीजेपी प्रदेश महासचिव कृपाल परमार रहे उपस्थित रहे।बदनसीब माता पुष्पा देवी व पिता दिलावर सिंह ने अपने बेटे को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। गौर रहे कि संदीप राणा परिवार का इकलौता सहारा था। 76 साल के पिता दिलावर सिंह पर अब परिवार के लालन पालन की जिम्मेदारी आ गई है। उन्होंने कहा कि जवान बहू और छोटे बच्चों पुलकित (10) व रुद्राक्ष (6) का जीवन-यापन कैसे होगा। संदीप के नाबालिग बेटा-बेटी अभी भी टकटकी आंखों से पापा के आने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं बेटे के अंतिम संस्कार के मौके पर गमगीन पिता ने सरकार के समक्ष सरकारी नौकरी की मांग रखी है। 


कांगड़ा के पास्सू के अमन शर्मा का भी उनके पैतृक गांव में पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान प्रभावित परिवार ने भी सरकार से राहत की गुहार लगाई। पूरा पासु क्षेत्र अमन के अंतिम संस्कार के समय गमगीन था। परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल था। 4 साल के लंबे इंतजार के बाद परिजन अंतिम बार अमन का मुंह भी नहीं देख पाए। 


लंज के इंद्रजीत सिंह का भी अंतिम संस्कार कर दिया गया। उसके भतीजे आयुष (8 साल) ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर पिता परदेसी राम का रो-रोकर बुरा हाल था। जवान बेटे को खोने के बाद बुजुर्ग बाप की आंखों से आंसू थमने का नाम तक नहीं ले रहे थे।

Ekta