पति के करीब दफन होने को किया 38 साल इंतजार

Monday, Jan 23, 2017 - 01:03 AM (IST)

नाहन: आज के दौर में जहां परिवार बिखर रहे हैं, पति-पत्नी के रिश्ते दांव पर लगे हैं और मोहब्बत व अपनापन खोखला हो रहा है, वहीं शहर के इतिहास के पन्नों में एक ऐसी अमर प्रेम कहानी भी है जो आज अपने आप में मिसाल है। रियासतकाल में एक अंग्रेज अफसर की पत्नी ने अपने पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का लम्बा इंतजार किया। यहां जिक्र लेडी लूसिया पियरसाल का हो रहा है। रियासतकाल में लूसिया अपने पति डा. इडविन पियरसाल के साथ यहां पहुंची थीं। 

50 साल की आयु में हुआ पति का इंतकाल
लूसिया के पति डा. इडविन पियरसाल महाराजा के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट थे। डा. पियरसाल ने महाराजा के यहां करीब 11 साल अपनी सेवाएं दीं और 19 नवम्बर, 1883 में डा. इडविन का 50 साल की आयु में इंतकाल हो गया। महाराजा ने डा. पियरसाल को मिलिटरी ऑनर के साथ विला राऊंड के उत्तरी हिस्से में दफन किया और यह जगह पियरसाल ने खुद चुनी थी और कहा था उन्हें यहां दफनाया जाए। उस वक्त लूसिया 49 साल की थीं। डा. पियरसाल की भांति लूसिया भी एक रहम दिल और रियासत में लोकप्रिय महिला के तौर पर विख्यात थीं। कहते हैं कि पति की मौत के बाद लूसिया वापस इंगलैंड नहीं गईं। अपने अन्य परिवार के सदस्यों को भी छोड़ दिया। 

19 अक्तूबर, 1921 को खत्म हुआ इंतजार
1885 में लूसिया ने भारी-भरकम रकम खर्च करके अपने पति की कब्र को पक्का किया क्योंकि वह अपने पति डा. पियरसाल से बेपनाह मोहब्बत करती थीं। ऐसे में लूसिया ने पति की बगल में दफन होने के लिए 38 साल मौत का इंतजार किया। 19 अक्तूबर, 1921 को वह घड़ी आई जब लूसिया का इंतजार खत्म हुआ और अपने पति को याद करते हुए उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। लूसिया की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए महाराजा ने सम्मान सहित लूसिया को भी उसके पति डा. पियरसाल की कब्र की बगल में दफनाया। आज भी विला राऊंड स्थित कैथोलिक कब्रगाह में इस पियरसाल दंपति के अमर प्रेम की कहानी बयां करती वास्तुकला से परिपूर्ण कब्रें आने-जाने वालों को आकर्षित करती हंै।