प्राकृतिक खेती : लागत कम, मुनाफा ज्यादा, कांगड़ा में 36 हजार किसानों ने अपनाई प्राकृतिक खेती

punjabkesari.in Monday, Feb 07, 2022 - 02:47 PM (IST)

धर्मशाला (नृपजीत निप्पी) : प्राकृतिक खेती ने जिला कांगड़ा के कई किसानों की तकदीर बदलकर रख दी है। प्राकृतिक खेती के लिए मिल रहे अनुदान के चलते जो किसान शुरूआत में 1 या 2 कनाल में खेती कर रहे थे, वो किसान अब 10 से 15 कनाल में खेती करके लाखों रुपये सालाना कमा रहे है। प्राकृतिक खेती, लागत कम और मुनाफा ज्यादा देने वाली है। जिला कांगड़ा में 36 हजार किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हुए हैं। इस खेती के माध्यम से जहां मिटटी स्वस्थ हो रही है, वहीं लोगों की सेहत भी सुधर रही है। सबसे बड़ी बात है कि जहां किसान जंगली जानवरों द्वारा पहुंचाए जा रहे नुकसान से खेतीबाड़ी छोड़ रहे थे, वहीं प्राकृतिक खेती की खासियत यह है कि जंगली जानवर इस फसल की ओर रुख नहीं करते, क्योंकि इसमें गौमूत्र से बने मिश्रण का छिड़काव किया जाता है। प्राकृतिक खेती में केमिकल खेती के मुकाबले पानी की खपत भी कम होती है। 

आत्मा के परियोजना कांगड़ा निदेशक डॉ. शशि पाल अत्री ने कहा कि वर्ष 2018-19 में प्राकृतिक खेती की प्रदेश में शुरूआत की गई थी। पिछले तीन वर्षों में जिला कांगड़ा में प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को आकर्षित करने के लिए 6.86 करोड़ रुपये की राशि जारी हो चुकी है। जिला कांगड़ा में 37500 किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जा चुका है तथा वर्तमान में 36 हजार से अधिक किसान इस खेती से जुड़े हुए हैं। देसी गाय की खरीद पर 25 हजार रुपये या 50 फीसदी अनुदान का प्रावधान है। बाहरी राज्य से देसी गाय लाने पर 5 हजार रुपये किराए का भी दिया जाता है और यदि मंडी से देसी गाय ली जाती है तो उस पर 2 हजार रुपये अतिरिक्त दिए जाते हैं। प्राकृतिक खेती में घटकों को तैयार करने निर्मित किए जाने वाले ड्रम 75 फीसदी यानी अधिकतम 750 रुपये अनुदान दिया जाता है तथा एक किसान को 3 ड्रम मिल सकते हैं। 

इंजीनियरिंग कर चुका शक्ति कर रहा प्राकृतिक खेती

धर्मशाला उपमंडल के अंतर्गत डिक्टू गांव का युवक शक्ति 4 साल से प्राकृतिक खेती करते हुए सालाना 8 से 10 लाख रुपये की कमाई कर रहा है। 2011 में इंजीनियरिंग करने के बाद निजी क्षेत्र में नौकरी करने के बावजूद कमाई सही न होने पर शक्ति ने सोलन में एक माह और पालमपुर में एक सप्ताह का प्रशिक्षण लिया और 1 कनाल में प्राकृतिक खेती शुरू की थी, जबकि वर्तमान में शक्ति 18 कनाल भूमि पर फूल, सब्जियां, धान, गेहूं अन्य फसलों की खेती कर रहा है और 4 से 5 युवकों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रहा है।

2 से बढ़ाकर 6 कनाल में खेती 

धर्मशाला उपमंडल के ही बगली निवासी कुलदीप चौधरी ने शुरूआत में 2 कनाल में प्राकृतिक खेती शुरू की थी, जबकि वर्तमान में 6 कनाल में हर तरह की सब्जियां प्राकृतिक खेती के तहत उगाकर लाखों कमा रहे रहे हैं। कुलदीप का कहना है कि लोग उनके घर से ही सब्जियां खरीदकर ले जाते हैं, उन्हें फसल बाजार भी नहीं ले जानी पड़ती।

प्राकृतिक खेती से जोड़े 175 किसान 

राजस्थान के भरतपुर में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण सुभाष पालेकर से हासिल करने वाले त्रैंबलू के सुरेश कुमार का कहना है कि उन्होंने 175 लोगों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा है। मैंने एक कनाल में प्राकृतिक खेती करना शुरू किया था, जबकि वर्तमान में 15 कनाल में प्राकृतिक खेती कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि किसानों को आगे आकर इस प्राकृतिक खेती का लाभ उठाना चाहिए।
 


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Content Writer

prashant sharma

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