कलस्टर के फेर में फंसा JNNURM की 325 बसों का मामला

Sunday, Apr 29, 2018 - 06:14 PM (IST)

शिमला: हिमाचल पथ परिवहन निगम जे.एन.एन.यू.आर.एम. की बसों के संचालन का मामला अब कलस्टर के फेर में फंस गया है। प्रदेश भर में करीब 325 बसें निगम के बस अड्डों पर खड़ी धूल फांक रही हैं। बसों के खड़े होने से हर माह निगम को करीब 10 करोड़ का नुक्सान तो उठाना ही पड़ रहा है, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के भी दर्जनों रूट प्रभावित हुए हैं, जिससे आम लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। ये बसें बीते वर्ष सितम्बर माह से खड़ी हंै और ऐसे में 8 माह से खड़ी इन बसों के कारण अभी तक परिवहन निगम को करीब 80 करोड़ तक का नुक्सान उठाना पड़ रहा है। 


वर्तमान समय में चल रहीं 475 बसें
वर्तमान समय में निगम प्रबंधन जे.एन.एन.यू.आर.एम. की करीब 475 बसों का ही संचालन करवा पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बसों को चलाने की डिमांड निगम प्रबंधन के पास आ रही है, लेकिन निगम प्रबंधन ग्रामीण क्षेत्रों में बसें नहीं चला पा रहा है। दूसरी ओर निगम प्रबंधन के पास बसें होते हुए भी कलस्टर से बाहर इनका संचालन नहीं कर पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई रूट ऐसे हैं जोकि राजधानी शिमला सहित अन्य कलस्टरों से 45 से 50 किलोमीटर ही दूर हैं और इन रूटों पर कोई निजी बसें भी नहीं चलती हंै। अब निगम प्रबंधन अगर कलस्टर पर बसें चलाता है तो 40 किलोमीटर से बाहर वह बसों का संचालन नहीं कर सकता, ऐसे में निगम के पास बसें होते हुए भी आम लोगों को इस सुविधा से महरूम रहना पड़ रहा है। 


9 वर्ष बाद डिस्पोज ऑफ होनी हैं बसें
निगम में बसों के संचालन की अधिकतम सीमा 9 वर्ष है और इसके बाद बसों को नीलाम कर दिया जाता है। निगम प्रबंधन ने वर्ष 2015 में केंद्र के सहयोग से 800 जे.एन.एन.यू.आर.एम. की बसें खरीदी थीं। इसके बाद इनका प्रदेश भर में संचालन हो रहा है जिन रूटों पर बसें उपलब्ध नहीं थी वहां पर भी जे.एन.एन.यू.आर.एम. की बसें चलाई जा रही थीं लेकिन बीते 8 माह से 300 से ऊपर बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है, ऐसे में 9 वर्ष बाद बसों की नीलामी होनी है। यदि समय पर कलस्टर का समाधान नहीं निकला तो ये बसें खड़ी खड़ी ही नीलाम करनी पड़ेंगी।


120 करोड़ से अधिक है बसों की कीमत
एच.आर.टी.सी. के बस अड्डों पर खड़ी जे.एन.एन.यू.आर.एम. की बसों की कीमत करीब 120 करोड़ से अधिक है। इनमें से कुछ बसों की कीमत 40 लाख रुपए तक है जबकि कुछ बसें 60 लाख की हैं, जिनमें लोगों को वोल्वो जैसी आधुनिक सुविधाएं भी मिल रहीं थीं। अब लाखों की कीमत की ये बसें बस अड्डों में ही खड़ी हैं और निगम द्वारा व्यय किए गए 120 करोड़ रुपए से लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

Vijay