300 साल पुरानी इस सीढ़ी के जरिए लोग बचाते थे जान, जानिए गहरा राज (PICS)

Sunday, Apr 22, 2018 - 12:49 PM (IST)

सोलन (सतीश): आज हम आपको एक ऐसी सीढ़ी दिखाते हैं जिसका किसी जमाने में बेमिसाल इस्तेमाल होता था, मगर आज यह सीढ़ी सिर्फ निशानी बनकर रह गई है। यह तस्वीरें सिरमौर जिला के पझौता क्षेत्र की हैं। यहां पालू गांव में करीब 300 साल पुरानी ऐसी सीढ़ी मौजूद है, जिसका इस्तेमाल किसी जमाने मे सुरक्षा के मद्देनजर किया जाता था। दरअसल गांव में एक विशेष घर बनाया जाता था जहां इस सीढ़ी को लगाया जाता था।


गांव में जब भी डाकुओं का प्रवेश होता था तो ऐसे समय मे लोग इस सीढ़ी का इस्तेमाल कर उस घर के सबसे ऊपर वाले हिस्से में चढ़ जाते थे, जहां एक पत्थरों का ढेर लगाया जाता था। उसके बाद सीढ़ी पर चढ़ने की कोशिश करने वालों की ओर यह पत्थर बरसाए जाते थे। 


बताया जाता है कि पहले समय में यहां अकसर डकैती और लूटपाट की घटनाएं होती थी। गांव में खतरे के समय में खासकर बच्चे और महिलाओं को इस सीढ़ी के जरिए सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाता था। इसे सबसे महफूज स्थान माना जाता था। सीढ़ी तक पहुंचने से पहले लकड़ी का एक मोटा दरवाजा लगाया जाता था, जिसे खोलना भी कोई आसान बात नहीं थी। दरवाजे को अंदर से एक मोटी लकड़ी के जरिए बंद किया जाता था। जैसा कि तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है।


खास बात यह भी है कि इस सीढ़ी को देवदार कि सिर्फ एक लकड़ी से खुरच कर बनाया जाता था जो सालों साल तक खराब नहीं होती थी। 1942 में हुए पझौता आंदोलन के दौरान भी इस तरह की सीढ़ियां सुरक्षा में बेहद कारगर साबित हुई थी। लोगों ने इन सीढ़ियों के जरिए अपनी सुरक्षा की। वही लोगों का कहना है कि सफाई के दौरान इनके आस-पास से गोलियां भी बरामद हुई। सच में यह सीढ़ी अपने आप में अनूठी है। आज इसका कोई इस्तेमाल नहीं रह गया है बल्कि यह एक निशानी बनकर रह गई है।​

Ekta