सरपट ट्रैक पर दौड़ेंगी 2 एक्सप्रैस ट्रेनें, 5 घंटे में पूरा होगा 9 घंटे का सफर

Sunday, Jan 27, 2019 - 11:58 AM (IST)

पपरोला (गौरव): नया साल लोगों के लिए राहत भरा आया है। रेलवे विभाग ने 164 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर काफी अर्से के बाद एक्सप्रैस रेल चलाने को हरी झंडी दे दी है। आपको बता दें कि इससे पहले भी हाई स्पीड ट्रेन को लेकर रेलवे विभाग के आला अधिकारियों द्वारा 2 बार हाई स्पीड ट्रेन को चलाने को लेकर ट्रायल किया गया था, जिसमें ट्रेन की स्पीड को भांपा गया था। इसके अलावा रेलवे ने पपरोला बैजनाथ से जोगिंद्रनगर तक एक और ट्रेन चलाने का फैसला लिया है। रेलवे विभाग के मुताबिक एक्सप्रैस ट्रेन को चुनिंदा रेलवे स्टेशनों पर ही रोका जाएगा और ट्रेन की स्पीड को बढ़ाकर उसे पठानकोट से पपरोला-बैजनाथ पहुंचने के लिए अब मात्र 5 घंटे लगा करेंगे। 

इससे लोगों में रेल के प्रति रुझान बढ़ेगा और कम समय में पर्यटक पठानकोट पहुंच सकेंगे। विभाग की मानें तो हाई स्पीड रेल पठानकोट से सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर चलकर दोपहर करीब 2 बजकर 25 मिनट पर पपरोला पहुंचेगी। इसके बाद यही ट्रेन शाम को साढ़े 4 बजे पपरोला से चलकर वापस पठानकोट 9 बजकर 35 मिनट पर पहुंचेगी। इसके अलावा पठानकोट से पपरोला दोपहर 1 बजे पहुंचने वाली रेलगाड़ी को दोपहर डेढ़ से 2 बजे तक जोगिंद्रनगर भेजा जाएगा, जोकि दोपहर बाद साढ़े 3 से 4 बजे के बीच में वापस पपरोला आएगी। आपको बता दें कि इससे पहले पपरोला से जोगिंद्रनगर सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर तथा शाम 6 बजकर 5 मिनट पर रेल चलती है।

रेल मंत्री के आने की है संभावना

विभागीय सूत्रों की मानें तो पहली फरवरी से शुरू होने वाली एक्सप्रैस रेल में रेल मंत्री या अन्य वरिष्ठ अधिकारी रेल में दौराकर स्थिति का जायजा लेने पहुंच सकते हैं। आपको बता दें कि इससे पूर्व भी दिसम्बर माह में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल ट्रैक का हवाई सर्वेक्षण कर रेल अधिकारियों को हाई स्पीड रेल चलाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद रेलवे विभाग के अधिकारी हरकत में आए थे और अगले ही दिन हाई स्पीड रेल चलाने को लेकर पहला ट्रायल किया गया था।

रेल ट्रैक को सुधारने के लिए बिछेगी रोड़ी, आएंगे नए रेल इंजन व कोच

रेलवे विभाग के मुताबिक 164 किलोमीटर लंबे ट्रैक की दशा को सुधारने के लिए जल्द ही रेलवे विभाग ट्रैक पर रोड़ी बिछाएगा। इसके साथ ही इस वर्ष रेलवे को लगभग 9 नए रेल इंजन मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा 45 नए कोच भी रेलवे को मिल गए हैं। रेल इंजनों को चलाने वाले चालकों का भी मानना है कि जब तक रेल ट्रैक पर नए इंजन नहीं आते या ट्रैक पर रोड़ी नहीं बिछाई जाती, तब तक रेल की गति को बढ़ाना खतरे से खाली नहीं है।
 

Ekta