उपेक्षा का शिकार हो गए पुराना कांगड़ा के 2 दर्जन कुएं व बावड़ियां

Tuesday, Apr 06, 2021 - 11:52 AM (IST)

कांगड़ा (अविनाश) : पूरे विश्व के वैज्ञानिकों द्वारा शोध करके यह जानकारी प्रकाशित की है कि भूमि पर जल का स्तर धीरे-धीरे काफी नीचे होता जा रहा है। इसमें बरसात का औसत से कम होना कारण बताया जा रहा है और अंधाधुंध पेड़ों का कटान तथा दिनों दिन बढ़ रहे तापमान से पहाड़ों में शीघ्रता से पिघल रहे ग्लेशियर भी पानी की कमी का मुख्य कारण बनते जा रहे हैं। विगत वर्ष प्रदेश में भी बरसात का पानी कम ही बरसा है जिसके कारण आने वाले गर्मी के मौसम में विकट पानी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। भविष्य में पानी की इस गंभीर समस्या को लेकर स्थानीय प्रशासन के समक्ष बिंदुओं पर प्रकाश डालना अति आवश्यक बन जाता है।

पूर्व में नगरकोट के नाम से और वर्तमान में पुराना कांगड़ा के नाम से इस प्राचीन शहर में पूर्व में लगभग 2 दर्जन के आसपास गहरे शीतल पानी के कुएं हुआ करते थे और लगभग 12 से 14 की संख्या में सुंदर पक्की छत दार बावड़ियां हुआ करती थीं, जो उपेक्षा का शिकार होने के कारण और उपयोग में न लाने के कारण या तो खराब हो चुकी हैं या उनका पानी पीने योग्य नहीं रहा है। पहले यही बावड़ियां और कुएं स्थानीय लोगों की प्यास बुझाते थे और जब यह सब उपयोग में लाए जाते थे, तब इनका आम जनता के श्रमदान और सहयोग से इनका उचित रखरखाव किया जाता था। सरकारी पानी के नल आ जाने से अधिकतर परिवारों ने कुएं और बावड़ियों से नाता ही तोड़ लिया है। जनता को पानी के इन अनमोल स्रोतों की आवश्यकता तब ही महसूस होती है, जब सरकारी पानी कई कई दिन नहीं आता है। स्थानीय प्रशासन जिसमें विशेषकर नगर परिषद और जल शक्ति विभाग को इन प्राकृतिक स्रोतों के बचाव हेतु अति शीघ्र कदम उठाने की आवश्यकता है। सर्वप्रथम शहर के इन सभी बावड़ियों, कुओं को चयनित करके चरणबद्ध तरीके से साफ  व पक्का किया जाए।
 

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prashant sharma