ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क में दिखे संकटग्रस्त प्रजाति के 2 मृग, जानिए क्या है खासियत

Friday, Dec 01, 2017 - 11:15 PM (IST)

बंजार/मंडी: विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क कुल्लू में वर्षों बाद कस्तूरी मृग की सुगंध ने जी.एच.एन.पी. प्रबंधन के लिए संजीवनी व वन्य प्राणी प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम किया है। 2 दिन पूर्व ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क के दौरे के दौरान प्रबंधन की उच्च स्तरीय टीम ने ढेला में 2 कस्तूरी मृग जंगल में विचरण करते हुए पाए हैं जिससे जी.एच.एन.पी. प्रबंधन फू ले नहीं समा रहा है। इस संकटग्रस्त प्रजाति की पार्क में मौजूदगी से विश्व धरोहर साइट के रूप में दर्जा पाने वाले ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क को आने वाले दिनों में काफी फायदा पहुंचने वाला है क्योंकि दुनिया भर के प्रकृति व वन्य प्राणी पे्रमी हर वर्ष यहां घूमने के लिए पार्क में आते हैं और अपने कैमरों में ऐसी लुप्त प्राय: प्रजातियों को कैद करने के लिए लालायित रहते हैं।

5 दिवसीय दौरे पर गई टीम ने किया खुलासा
5 दिवसीय दौरे पर गई जी.एच.एन.पी. प्रबंधन की टीम ने करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर ढेला के पास 2 कस्तूरी मृग देखे हैं जिसकी पुष्टि स्वयं टीम को लीड करने वाले जी.एच.एन.पी. के डायरैक्टर आर.एस. पटियाल ने की है। टीम ने काफी देर तक दोनों कस्तूरी मृग की वीडियोग्राफी की व फोटो लिए और उन्हें अध्ययन के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट के लिए भेज दिया है ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि दोनों कस्तूरी मृग का लिंग क्या है और अगर ये नर व मादा पाए जाते हैं तो यह जी.एच.एन.पी. प्रबंधन के लिए सुखद खबर हो सकती है। 

चट्टानों के दर्रों और खोहों में रहता है कस्तूरी मृग
कस्तूरी मृग पहाड़ी जंगलों की चट्टानों के दर्रों और खोहों में रहता है। यह अपने निवास स्थान को कड़े शीतकाल में भी नहीं छोड़ता। चरने के लिए यह मृग दूर से दूर जाकर भी अंत में अपनी रहने की गुफा में लौट आता है। आराम से लेटने के लिए यह मिट्टी में एक गड्ढा बना लेता है। घास, फूल पत्ती और जड़ी-बूटियां ही इसका मुख्य आहार हैं। हिमालय में पाया जाने वाला कस्तूरी मृग प्रकृति के सुंदरतम जीवों में से एक है। यह हिमालयन मस्क डिअर के नाम से भी जाना जाता है। कस्तूरी मृग के आर्थिक महत्व का कारण उसके शरीर से सटा कस्तूरी का नाफा ही उसके लिए मृत्यु का दूत बन जाता है। 

नाभि में पाई जाने वाली कस्तूरी के लिए अधिक प्रसिद्ध
कस्तूरी मृग सुंदरता के लिए नहीं अपितु उसकी नाभि में पाई जाने वाली कस्तूरी के लिए अधिक प्रसिद्ध है। कस्तूरी केवल नर मृग में पाई जाती है जो इसके उदर के निचले भाग में जननांग के समीप एक ग्रंथि से स्रावित होती है। यह उदरीय भाग के नीचे एक थैलीनुमा स्थान पर इकट्ठा होती है। कस्तूरी मृग छोटा और शर्मीला जानवर होता है। इसका वजन लगभग 13 किलो तक होता है। एक मृग में लगभग 30 से 45 ग्राम तक कस्तूरी पाई जाती है। 

क्या होता है कस्तूरी मृग
कस्तूरी मृग मोशिडे परिवार का प्राणी है। इसकी 4 प्रजातियां पाई जाती हैं, जो सभी आपस में बहुत समान हैं। कस्तूरी मृग सामान्य मृग से अधिक आदिम है। यह हिमालय पर्वत के 2,400 से 3,600 मीटर तक की ऊंचाइयों पर पाया जाता है। इसके खुरों और नखों की बनावट इतनी छोटी, नुकीली और विशेष ढंग की होती है कि बड़ी फुर्ती से भागते समय भी इसकी चारों टांगें चट्टानों के छोटे-छोटे किनारों पर टिक सकती हैं। इसकी एक-एक कुदान 15 से 20 मीटर तक लंबी होती है। इसके कान लंबे और गोलाकार होते हैं तथा इसकी श्रवण शक्ति बहुत तीक्ष्ण हाती है। इसके शरीर का रंग विविध प्रकार से बदलता रहता है। पेट और कमर के निचले भाग लगभग सफेद ही होते हैं और बाकी शरीर कत्थई भूरे रंग का होता है।