कांगड़ा के इन 2 भाइयों ने पेश की मिसाल, 500 से अधिक कोरोना मृतकों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार

punjabkesari.in Tuesday, May 18, 2021 - 11:49 PM (IST)

धर्मशाला/ऊना (विशाल स्याल): कोरोना संक्रमण जैसी महामारी के इस भयावह दौर में जहां कई जगहों पर पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए अपने ही अपनों से मुंह मोड़ रहे हैं वहीं ऐसे 2 सगे भाई भी हैं जो कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार में दिन-रात एक किए हुए हैं। अपने परिवारों से दूर रहते हुए ये दोनों भाई अब तक सैंकड़ों लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। लगभग एक साल से ये दोनों भाई अपनी-अपनी टीमों के साथ लगातार जिला कांगड़ा में मरीजों के अंतिम संस्कार में लगे हुए हैं। बेशक लोग पॉजिटिव रहे मृतकों का संस्कार करने में डर रहे हों लेकिन कांगड़ा के तपोवन के गांव कनेट के निवासी संजीव कुमार और राजीव कुमार निडरता से लोगों का संस्कार करते हुए ऐसे लोगों के लिए भी उदाहरण पेश कर रहे हैं जोकि कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार से मुंह मोड़ रहे हैं।

टांडा अस्पताल के पास 450 मृतकों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं संजीव कुमार

कनेट गांव के निवासी संजीव कुमार अपनी टीम के साथ अब तक लगभग 500 के करीब पॉजिटिव मृतकों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। मौजूदा समय में कांगड़ा जिले के टांडा मेडिकल कॉलेज में अन्य कार्यों सहित पॉजिटिव मृतकों के अंतिम संस्कार का जिम्मा संभाले हुए हैं। संजीव कुमार अपनी 8 सदस्यीय टीम के साथ पिछले लगभग एक साल से अंतिम संस्कार के कार्य में लगे हैं। टांडा अस्पताल के साथ ही बहती खड्ड के किनारे संस्कार के लिए जगह चयनित की गई है जहां संजीव व उनकी टीम लगभग 450 पॉजिटिव मरीजों का अंतिम संस्कार कर चुकी है जबकि 50 ऐसे अंतिम संस्कार लोगों के घरों के पास किए गए हैं जोकि होम आइसोलेशन में थे या जिन्होंने घर के पास अंतिम संस्कार करने की इच्छा जताई थी।

एक साल से घर नहीं गए दोनों भाई

संजीव कुमार और राजीव कुमार की मानें तो दोनों ही पिछले लगभग एक साल से अपने घर नहीं गए हैं। बच्चों से मिलना तक नहीं हुआ है। प्रशासन ने दोनों भाइयों व उनकी टीमों के रहने की व्यवस्था की हुई है और वहीं ये अपनी टीमों के साथ रहते हुए अपने कार्य का निर्वहन कर रहे हैं। संजीव ने बताया कि कभी-कभार उनकी पत्नी आती है और दूर से मिलकर चली जाती है। बच्चों से मिलना नहीं हो पाता है। उन्होंने बताया कि उनकी टीमों के लगभग हर 18वें दिन कोविड-19 टैस्ट होते हैं। अब तक उनकी लगभग 100 सदस्यीय टीम का केवल एक ही सदस्य पॉजिटिव आया है।

पपरोला में अंतिम संस्कार का जिम्मा संभाले हुए हैं राजीव कुमार

राजीव कुमार पपरोला में अंतिम संस्कार का जिम्मा संभाले हुए हैं। यहां वह लगभग 17 पॉजिटिव मृतकों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। संस्कार करने के बाद वह अस्थियां चुनने के बाद परिवार के हवाले भी करते हैं। राजीव अपनी 7 सदस्यीय टीम के साथ लगातार पपरोला और डाढ में सेवाएं दे रहे हैं। संजीव की जहां धर्मशाला और टांडा में हाऊसकीपिंग व वार्ड ब्वायज की टीम कार्यरत है वहीं राजीव की पपरोला व डाढ में टीमें लगी हुई हैं। मरीजों को खाना देने, सैनिटाइजेशन व अन्य कामों का जिम्मा ये टीमें संभाले हुए हैं।

35 ऐसे लोग जिनके परिजन मुंह फेर गए, अस्थियां तक लेने नहीं आए

संजीव कुमार की मानें तो अब तक के कुल 500 संस्कारों में से लगभग 35 ऐसे भी लोगों के संस्कार उन्होंने खुद किए हैं जिनके पारिवारिक सदस्य और रिश्तेदार मुंह फेर गए थे। न तो कोई उनका शव लेने आया और न ही कोई अंतिम संस्कार में मौजूद रहा। यहां तक कि कोई अस्थियां तक लेने भी नहीं आया। संजीव के मुताबिक कई ऐसे दौर भी सामने आए हैं जिनमें परिवार के सदस्य अपने ही पारिवारिक सदस्य की लाश से दूरी बना लेते हैं और संस्कार के लिए नीचे खड्ड के किनारे तक नहीं आते बल्कि ऊपर खड़े रहकर संस्कार होता देखते हैं।

डर न दिखाएं, सावधानी से कोरोना काल में जिम्मेदारी निभाएं

दोनों भाइयों संजीव कुमार और राजीव कुमार ने पंजाब केसरी से बात करते हुए कहा कि उनको इन पॉजिटिव मृतकों से डर नहीं लगता। उन्होंने कहा कि लोगों को भी इनके संस्कार के लिए डर नहीं दिखाना चाहिए। सावधानीपूवर्क किए जाने वाले अंतिम संस्कार के लिए सहयोग देना चाहिए न कि मुंह मोडऩा चाहिए। कोरोना काल को सहयोग व सावधानी से ही पार किया जा सकता है।


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Vijay

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