1985 के बाद हिमाचल ने कभी नहीं दोहराई सरकार, देखिए कितना मुश्किल है कांग्रेस का मिशन रिपीट

Tuesday, Sep 19, 2017 - 02:44 PM (IST)

धर्मशाला (जिनेश): हिमाचल के पिछले 6 विधानसभा चुनावों के नतीजों पर अगर हम नजर डालें तो यह तथ्य सामने आता है कि मतदाताओं ने कभी भी एक पार्टी को लगातार दो बार सरकार बनाने का अवसर प्रदान नहीं किया। नतीजों से स्पष्ट होता है कि मदतादाओं ने 1985 के बाद हर बार बदलाव ही किया है। अगर एक बार कांग्रेस की सरकार बनी तो 5 साल बाद हुए चुनाव में 46 सीटें लेकर बीजेपी ने प्रदेश की सत्ता अपने हाथों में ली थी, वहीं 3 साल बाद प्रदेश में हुए मध्यावर्ती चुनावों में वोटरों का मन बदलते ही फिर से 1993 में कांग्रेस 52 सीटें लेकर सत्ता में आ गई थी। बदलाव का यह क्रम हर बार जनता द्वारा किया गया है।

विधानसभा चुनावों में प्रदेश के मतदाताओं ने कांग्रेस को लगातार सत्ता चलाने को दी
1998 में वीरभद्र लगभग इस मिथक को तोड़ने में सफल हो ही गए थे तथा 16 दिन के लिए सत्ता में लौटे भी, मगर इससे पहले वह दोबारा सरकार बनाते, उनकी जमीन खिसक गई या कहें कि खिसका ली गई थी और बीजेपी ने फिर से सत्ता की बागडोर संभाल ली। पिछले चुनावों में भाजपा सत्तासीन हुई थी मगर उसके बाद कांग्रेस ने 36 सीटें लेकर सरकार बनाई। इससे साफ पता चलता है कि अपने स्तर पर सभी सत्तासीन सरकारें विकास तथा रोजगार उपलब्ध करवाने का ढिंढोरा जोरो-शोरों से पीटती हैं परंतु मतदाता का मन मौजूदा सरकार में कम ही रमता है, लंबे अरसे से मतदाताओं ने सरकार को हराकर विपक्षी पार्टी को सत्तासीन किया है। चुनाव विशेषज्ञ इसके पीछे मतदाताओं में बदलाव की मानसिकता, गुटवाजी, जातिगत समीकरण और सत्ता विरोधी रुझान को कारण बता रहे हैं। पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने से पहले जितने भी विधानसभा चुनाव हुए, प्रदेश के मतदाताओं ने कांग्रेस को लगातार सत्ता चलाने को दी। 


कौन पार्टी कब जीती
 वर्ष        पार्टी           सीटें    कुल विधानसभा क्षेत्र
1951    कांग्रेस          24       28
1967    कांग्रेस          34       60
1972    कांग्रेस          53       68
1977    जनता पार्टी   53       68
1982    कांग्रेस          31       68
1985    कांग्रेस          58       68
1990    बी.जे.पी.       46       68
1993    कांग्रेस          52       68
1998    बी.जे.पी.       31       68
2003    कांग्रेस          43       68
2007    बी.जे.पी.       41       68
2012    कांग्रेस          36       68