खूंटी पर टंगी जिंदगी के वरदान बनी 108, बर्फबारी के दौरान भी 24 मरीजों को लाया जिला से बाहर

Wednesday, Dec 25, 2019 - 04:41 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप) : कबायली जिला लाहौल स्पीति में मरीजों को सर्दियों के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बर्फबारी के दौरान करीब 6 माह के लिए शेष दुनिया से अलग-थलग पड़ जाता है। ऐसे में बीमार पड़ने पर इनके लिए मुसीबतों का पहाड़ टूट जाता है। जिला के अस्पताल में हर प्रकार की सुविधाएं न मिलने के कारण मरीजों को यहां से रैफर किया जाता है। लेकिन आसमान से बर्फ के फाहें गिरने के कारण इनके लिए उड़नखटोला ही एकमात्र साधन बन जाता है। हालांकि अब रोहतांग टनल की भी सुविधा मिलने लगी है। ऐसे में सुरंग इनके लिए तारणहार साबित हो रही है।

जिला लाहौल स्पीति में नवंबर के बाद के माह इनके लिए किसी आफत से कम नहीं होते हैं। नवंबर माह के बाद इनकी जिंदगी खूंटी पर टंग जाती है। यहां के लोग हर्दय संबंधी, गर्भवती, अत्याधिक बुखार, सिर में चोट व सांस संबंधी गंभीर बीमारी की चपेट में आ गए थे। नवंबर माह में जहां यह आंकड़ा 11 था तो अभी तक दिसंबर माह में 13 हुआ है। जिन्हें 108 एंबुलेंस की मदद से कुल्लू पहुंचाया गया। कठिन परिस्थितियों में इन्हें बर्फबारी के दौरान कुल्लू पहुंचाया गया। घाटी के लोगों का कहना है कि सर्दियों में पूरी तरह से बंद इस जिला के सरकारी अस्पताल में मरीजों को सभी तरह की सुविधाएं मिलनी चाहिए। ताकि उन्हें गंभीर बीमार होने पर अन्य जिला की ओर कूच न करना पड़े। क्योंकि भारी बर्फबारी में जिला से बाहर निकलने के लिए यहां के बाशिंदों के लिए सिर्फ उड़खटोला ही सहारा बनता है।

पीएमओ तक पहुंच चुका है जिला का मामला

जिला में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का मामला पीएमओ में भी पहुंच चुका है। जहां से यहां पर इस मुद्दे पर जांच के भी आदेश मिल चुके हैं। यहां के ग्रामीण युवा संगठन स्थानीय एनजीओ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पर जिला के प्रति उपेक्षा का आरोप लगाया था। आरोप लगाया गया था कि हिमाचल सरकार इस जिला के लिए बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने में फेल हो चुकी है। आरोप लगाया था कि अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। 

उपकरणों के नाम पर केलांग और उदयपुर में कुछ पुरानी एक्सरे और अल्ट्रासाउंड मशीनों के अलावा कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। मरीजों को ब्लड बैंक और ब्लड टेस्ट (जैसे  टैक्रोलिमस, सेरुलोप्लास्मिन, फ्री सेरम सीयू 24 घंटे व हाइपररिच्यूरिया) के लिए घाटी से बाहर का रूख करना पड़ता है। साथ ही एनजीओ ने दुर्लभ आनुवंशिक विकार के रोगों को जल्द एनआरएचएम में शामिल करने का आग्रह किया था ताकि इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चे अपना ईलाज समय से कर सके।

इनके लिए 108 बनी खेवनहार

108 एंबुलेंस के कुल्लू व लाहौल स्पीति के प्रभारी आशीष ने बताया कि नवंबर व दिसंबर माह में जिला में 24 केस आए थे। उन्हें समय पर 108 एंबुलेंस की मदद से जिला से बाहर निकाला गया। रोहतांग टनल से निकालने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। लेकिन टनल पर पहुंचाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़े। सड़क में भारी मात्रा में बर्फ होने से कई स्थानों पर दिक्कतें भी आई। नवंबर माह में 11 मामले सामने आए, जबकि दिसंबर माह में अभी तक 13 मरीजों को 108 एंबुलेंस उपलब्ध करवाई गई। इनमें हर्दय संबंधी, गर्भवती, तेज बुखार, हेड इंजरी व सांस संबंधी मरीज शामिल थे। 

Edited By

Simpy Khanna