चौकीदार की टॉपर बेटी को मिली लाखों की Scholarship

Tuesday, Jul 12, 2016 - 11:09 AM (IST)

हमीरपुर: भले ही समाज बेटियों को पराया धन की धारणा से देखता हो लेकिन बेटियां अगर कुछ बनने की ठान लें तो उन्हें न सुविधाओं का अभाव रहता है और न ही किसी की सहायता की आवश्यकता। बेटियां अपनी मेहनत और कड़े परिश्रम से वह सब कुछ हासिल करने में सक्षम होती हैं, जो उन्होंने सपने देखे होते हैं। ऐसी ही एक बेटी बमसन क्षेत्र के अति दुर्गम गांव नुहाड़ा की प्रिया चंदेल है, जोकि वर्तमान समय में राजकीय महाविद्यालय कंज्याण (भोरंज) में बी.एससी. के तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है।


वर्ष 2014 में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल टिक्कर खतरियां से जमा दो नॉन-मैडीकल में 91 प्रतिशत अंक लेकर टॉपर रही प्रिया चंदेल कालेज में भी हर वर्ष अपनी कक्षा में टॉपर आती है, जिसके चलते भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सौजन्य से गरीब व टॉपर विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई इंस्पायर स्कॉलरशिप के तहत प्रिया चंदेल का पूरे देश के उन 4 हजार टॉपर बच्चों में चयन हुआ है, जिनकी पढ़ाई के लिए हर वर्ष जमा दो के बाद जब तक बच्चा पढ़ाई करेगा, उसे हर वर्ष 60 हजार रुपए की स्कॉलरशिप भारत सरकार द्वारा दी जाएगी। इसी स्कॉलरशिप के तहत प्रिया चंदेल को हाल ही में एक लाख 20 हजार रुपए का चैक भारत सरकार द्वारा मिला है। 


विपरीत परिस्थितियों का मलाल नहीं प्रिया कोउल्लेखनीय है कि प्रिया चंदेल के पिता देसराज एक बैंक के ए.टी.एम. में चौकीदार हैं तथा माता गृहिणी है। बड़ी मुश्किल से देसराज अपनी थोड़ी से तनख्वाह से अपने 3 सदस्यों के परिवार का पालन-पोषण करता है। देसराज अपनी बेटी प्रिया को किसी बड़े स्कूल में नहीं पढ़ा सकता था, जिसके चलते उसने अपनी बेटी को शुरू से ही सरकारी स्कूल में शिक्षा दिलाई लेकिन प्रिया बिना ट्यूशन और सरकारी स्कूल में ही पढ़कर आज देश के उन 4 हजार टॉपर बच्चों में शामिल है, जिन्हें भारत सरकार पढ़ाई के लिए हजारों रुपए की स्कॉलरशिप दे रही है। 


यही नहीं, प्रिया के पिता देसराज पैसों के अभाव के कारण उसे बड़े कॉलेज हमीरपुर में भी नहीं भेज सके और वह भोरंज कालेज में शिक्षा ग्रहण कर रही है। इसके बावजूद प्रिया चंदेल को इस बात का कोई मलाल नहीं है कि उसे अपनी पढ़ाई पूरी करने में पैसों या सुविधाओं की कमी है। प्रिया चंदेल का कहना है कि वह एम.एससी. करने के बाद पीएच.डी. करेगी। उसने बताया कि वह एक शिक्षक बनना चाहती है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के उन मेधावी बच्चों को उसे पढ़ाने का मौका मिले, जो आगे जाकर देश का नाम ऊंचा कर सकें।