राजनीतिक गलतियों का परिणाम थे 4 युद्ध : धूमल

Tuesday, Jul 26, 2016 - 11:32 PM (IST)

हमीरपुर: पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि देश को 52 वर्षों के बाद नरेंद्र मोदी के रूप में ऐसा प्रधानमंत्री मिला है, जो जैसा सेना चाहती है वैसा करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जोकि दीवाली घर में नहीं बल्कि सियाचिन में सैनिकों के साथ मनाते हैं।

 

पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल मंगलवार को कारगिल विजय दिवस पर जिला में शहीद हुए 8 सैनिकों के परिजनों को सम्मानित करने के उपरांत जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश के राजनीतिक नेतृत्व की बार-बार की गलतियों के कारण देश के सैनिकों को 4 युद्ध लडऩे पड़े हैं, जिनमें लाखों सैनिक शहीद व घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि 1962, 65 व 71 के युद्धों में हुई गलतियां न दोहराई जातीं तो कारगिल में पाक घुसपैठ नहीं होती। 1971 में भारत-पाक युद्ध में जब भारतीय सेना ने 90,000 पाक सैनिकों को बंदी बना लिया था तो उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बिना शर्त सभी पाक सैनिकों को छोड़ दिया था। अगर उस समय पाक सैनिकों को छोडऩे की एवज में कश्मीर समस्या को सुलझा लिया होता तो आज कश्मीर समस्या न रही होती और न ही कश्मीर में आए दिन देश के सैनिक शहीद होते।

 

धूमल ने कहा कि 1965 में हाजीपुर का दर्रा जीत लिया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने लाहौर में तिरंगा फहरा दिया था लेकिन शास्त्री जी पर ऐसा क्या दबाव था कि वह ताशकंद गए और वहां से वापस नहीं लौटे। उन्होंने कहा कि भले ही आज शास्त्री जी का परिवार कांग्रेस में है लेकिन उनका परिवार आज भी उस डायरी को सार्वजनिक करने की मांग करता है, जिसमें उनकी मौत का रहस्य छुपा हुआ है। कारगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सैनिकों का हौसला बढ़ाने युद्ध स्थल तक गए और ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हुआ। यही नहीं, अटल जी ने अमरीका के बुलाने पर भी सीसफायर नहीं किया और जब तक युद्ध खत्म नहीं हुआ देश के बाहर नहीं गए। इसके परिणामस्वरूप अमरीका जैसे शक्तिशाली देश भी भारत के प्रधानमंत्री को पूछकर पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान में आतंकवादी कार्रवाई करने पर मजबूर हो गया।

 

भाजपा सरकार ने शुरू किया था सैनिक कल्याण कोष
धूमल ने कहा कि कारगिल युद्ध के बाद प्रदेश में तत्कालीन भाजपा सरकार ने सैनिक कल्याण कोष का गठन किया था ताकि लड़ाई के दौरान शहीद हुए या घायल हुए सैनिकों के परिवारों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि सैनिक कल्याण कोष में करोड़ों रुपए जमा हुए हैं तथा आज भी इस कोष से सैंकड़ों सैनिकों के परिजनों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि भी अॢपत की तथा उनके परिजनों को भी नमन किया। उन्होंने कहा कि आज शहीदों की शहादत से ही देश स्वतंत्र है। इसलिए शहीदों की शहादत को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।