यहां एक अध्यापक पर 18 दिव्यांग छात्रों का जिम्मा

Sunday, Mar 18, 2018 - 04:44 PM (IST)

हमीरपुर : हमीरपुर बाजार के बीचोंबीच बने राजकीय प्राइमरी (दिव्यांग) विद्यालय बारे तो हर कोई जानता ही है। हमीरपुर के एक दानी सज्जन में स्कूल के लिए जमीन दान दी थी। इस जमीन पर बना भवन 1889 में बना था, जिसको वर्ष, 1929 में स्कूल के लिए प्रयोग किया गया था। जहां पर आज तक दिव्यांगों के लिए स्कूल चल रहा था। परंतु भवन की हालत काफी खस्ता होने के  कारण गत दिनों स्कूल भवन को गिराया गया है। स्कूल में 150 विद्यार्थी पढ़ते हैं जिनमें से 18 छात्र दिव्यांग हैं। स्कूल भवन बनाने के लिए 6 लाख के करीब राशि स्वीकृत हुई है जिससे वहां पर 2 कमरों का निर्माण किया जाएगा। एक ओर जहां सरकार दिव्यांगों के लिए हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने की बातें करती है, वहीं यह स्कूल सरकार की अवहेलना का शिकार बना हुआ है।

स्कूल मेें मुख्य अध्यापिका के अलावा 3 अन्य अध्यापक हैं
जहां हमीरपुर के कुछ स्कूलों में करोड़ों की राशि किसी एक विषय को बढ़ावा देने के लिए दी गई है, समाज के दिव्यांग वर्ग को उठाने तथा उन्हें शिक्षा से जोडऩे के लिए सरकार के पास राजस्व कम पड़ जाता है। यह विद्यालय विशेषकर दिव्यांगों के लिए है और यहां पर एक ही अध्यापक है जिस पर 18 दिव्यांग छात्रों का जिम्मा है। दिव्यांगता भी कई तरह की होती है तथा विभिन्न प्रकार के दिव्यांग बच्चों को अलग-अलग अध्यापकों की आवश्यकता होती है। स्कूल मेें मुख्य अध्यापिका के अलावा 3 अन्य अध्यापक हैं जोकि अन्य विद्यार्थियोंको पढ़ाते हैं। 

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