इस दिन मणिमहेश डल झील को पार करते है शिवजी के चेले (PICS)

Thursday, Sep 01, 2016 - 11:24 AM (IST)

भरमौर: मणिमहेश डल झील को सप्तमी के दिन संचूई गांव के शिवजी के चेले पार करते हैं और उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए इस वर्ष भी सप्तमी के दिन ही इस प्रक्रिया को पूरा करेंगे। संचूई गांव के शिवजी के चेलों विजय कुमार, पवन कुमार, धर्म चंद व चमन लाल आदि ने बताया कि सप्तमी को शिवजी के चेले डल पार करने की प्रक्रिया को पूरा करते हैं और उसके बाद ही स्नान शुरू होता है। उन्होंने कहा कि शिवजी की छड़ी 5 सितम्बर को संचूई से चौरासी मंदिर पहुंचेगी और 2 दिन यह पवित्र छड़ी मंदिर परिसर में ही रहेगी।


7 सितम्बर को चौरासी परिक्रमा के बाद सुबह चौरासी मंदिर से रवाना होगी तथा रात्रि विश्राम इस बार धनछो में होगा। 8 सितम्बर को सप्तमी के दिन 12 से लेकर 2 बजे के बीच सभी चेले डल को पार करने की परंपरा का निर्वहन करेंगे। उसके बाद राधाष्टमी के पर्व का स्नान शुरू हो जाएगा। पवित्र छड़ियां 9 सितम्बर को वापस हड़सर तथा 10 सितम्बर को अपने स्थान संचूई लौटेंगी। माननीय न्यायालय के आदेशों का निर्वहन करते हुए इस बार भी नारियल की बलि के साथ ही डल पार करने की परंपरा अदा की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया पौराणिक मान्यताओं के आधार पर हर वर्ष होती है। 


इस पूरी प्रक्रिया में दशनामी अखाड़ा, चरपट नाथ व भद्रवाह से आई सभी छड़ियां उनके साथ इकट्ठी ही रहती हैं। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि जब सभी छडिय़ां डल झील पर पहुंच जाती हैं तो जो शिवजी के चेलों का बैठने का स्थान होता है, वहां लोगों ने दुकानें लगा रखी होती हैं, उन्हें वहां से हटाया जाए ताकि उस समय चेलों को कोई कठिनाई न हो। जब चेले हड़सर में रात्रि विश्राम को पहुंचते हैं, वहां गौरी शंकर मंदिर में साधुओं ने कब्जा कर रखा होता है, जिस कारण पवित्र छड़ियों को रात्रि विश्राम के लिए साधुओं से लड़ना पड़ता है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि यहां साधुओं को ठहरने से रोका जाए।