कारगिल विजय दिवस: टांगों पर लगी थी गोलियां, फिर भी दुश्मनों के छुड़ाए थे छक्के

Tuesday, Jul 26, 2016 - 06:10 PM (IST)

बिलासपुर: 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले बिलासपुर के संजय कुमार जीवित परमवीर चक्र विजेता हैं।


संजय कुमार ने बताया कि वह ताउम्र वो मंजर नहीं भूल पाएंगे। दुश्मन की गोलियां लगने के बावजूद उन्होंने हौसला नहीं डगमगाया। जब खुद की एके-47 की गोलियां खत्म हो गईं तो दुश्मनों से 4एमजी गन छीनकर उन पर हमला बोल दिया। 11 साथियों में से 2 शहीद हो चुके थे। 8 गंभीर घायल थे। संजय कुमार ने बताया कि मुझे दायीं टांग और पीठ पर गोली लगी थी, लेकिन हार नहीं मानी।


उन्होंने कहा कि 4 और 5 जुलाई, 1999 को उन्हें मस्को वैली प्वाइंट 4875 प्लैट पौप पर 11 साथियों के साथ तैनात किया था। यहां 2 सैनिक शहीद और 8 सैनिक जख्मी हो गए थे। उन्हें 3 गोलियां लगी थीं। दुश्मन पहाड़ी से हमला कर रहा था। दो गोली दायीं टांग और एक पीठ पर लगी, लेकिन दुश्मनों से लड़ते हुए उन्होंने 4875 फुट ऊंची चोटी पर देश का झंडा लहराया। तब उन्हें 26 जनवरी 2000 को परमवीर चक्र से नवाजा गया। बता दें कि संजय बिलासपुर से उच्च शिक्षा लेने के बाद सेना में भर्ती हुए थे। वर्तमान में नायब सूबेदार हैं। उनका बचपन काफी कठिन परिस्थितियों में गुजरा है। बावजूद इसके उनके पिता दुर्गाराम और माता भागदेई ने अपने बच्चों को पढ़ाया-लिखाया।


इस शहीद की होने वाली थी शादी, मिली शहादत
पापा जून के अंत में आ रहा हूं। आप शादी की तारीख तय कर लेना। यहां सब ठीक है, बस दूसरी तरफ से घुसपैठ चल रही है। जल्द निपटा लेंगे। कारगिल शहीद कैप्टन अमोल कालिया ने अपने पिता सतपाल कालिया से ये अंतिम शब्द बोले थे। कारगिल से 1 जून को अमोल कालिया का लिखा खत 9 जून को घर पहुंचा था। इसी दिन शहादत का जाम पी लिया। कारगिल युद्ध के दौरान चौकी नंबर 5203 पर तिरंगा लहराने के बाद 9 जून, 1999 को शहीद हुए कैप्टन अमोल कालिया पर आज भी उनके परिजन और प्रदेश वासी नाज करते हैं। अमोल कालिया का जन्म 26 फरवरी, 1978 को नंगल में हुआ था। पाकिस्तानी सेना के दर्जनों घुसपैठियों को मौत की नींद सुलाने तथा चौकी नंबर 5203 पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद दुश्मन सेना की गोली लगने से शहीद हुए।