बल्हसीणा गांव की महिलाओं ने बदली तकदीर, पढ़ें पूरी खबर

Saturday, Jul 23, 2016 - 12:38 AM (IST)

बिलासपुर: जिला के झंडूता ब्लाक के गांव बल्हसीणा की 12 महिलाओं ने वर्ष 2003 में ‘शंकर स्वयं सहायता समूह’ का गठन किया और 20-20 रुपए की सहयोग राशि से इस समूह को शुरू किया। बारीक कशीदाकारी की भांति सुई और धागे से तिनकों को तरतीब से बांधते हुए विभिन्न आकृतियों को सुंदर रूप दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस व्यवसाय से काफी राशि इकट्ठी  हो जाती है।

 

इस राशि को न केवल यह महिलाएं अपने व्यवसाय को बढ़ाने में प्रयोग में ला रही हैं बल्कि समूह की सदस्यों को निजी आवश्यकता पर उन्हें ऋण के रूप में भी उपलब्ध करवा रहीं है। इन महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत इसका प्रशिक्षण भी लिया है। समूह ने वर्ष 2014 को बैंक से 3 लाख रुपए का ऋण भी लिया है।

 

पहले उबाले जाते हैं चिलारू
चिलारू से झंडूता क्षेत्र की महिलाओं ने सुंदर आकृतियां बनाकर इसे अपनी आजीविका साधन बना लिया है।  प्रदेश की अमूल्य निधि को नुक्सान पहुंचाने वाली इस आग को वन में फैलाने का काम यह ‘विनाशक चिलारू’ ही करते हैं। समूह की तारा, कमला, लता, कांता चंदेल, इंद्री देवी, वीना व सुनीता आदि सदस्यों ने बताया कि सुबह जंगलों से चिलारू को समेट कर बड़े-बड़े ग_रों में बांध कर घरों में एकत्रित करती हैं। इन चिलारूओं को बड़े बर्तन में एक से डेढ़ घंटे तक उबाला जाता है, इस प्रक्रिया से यह चिलारू पक्के हो जाते हैं और टूटते नहीं। फिर इन्हें सूखया जाता है।इसके बाद इन्हें सुंदर कलाकृतियों में बनाने का कार्य किया जाता है।