महिलाओं की गरिमा का रखा जाए ध्यान : मुख्य न्यायाधीश

punjabkesari.in Monday, Feb 29, 2016 - 12:52 AM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में रविवार को लिंग संवेदनशीलता पर एकदिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर ने किया। सम्मेलन का आयोजन प्रदेश न्यायिक अकादमी द्वारा किया गया। सम्मेलन में सभी न्यायिक अधिकारियों, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और एपीज विश्वविद्यालय के विधि विभाग के छात्रों ने भाग लिया।

 

इस अवसर पर न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति राजीव शर्मा, न्यायमूर्ति तिरलोक सिंह चौहान, न्यायमूर्ति पीएस राणा एवं न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर भी उपस्थित रहे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि प्राचीन समय में महिलाओं को जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ बराबर का दर्जा प्राप्त था लेकिन महिलाओं की स्थिति मध्ययुगीन काल में पुरुष प्रधान समाज में काफी नीचे चली गई। उन्होंने कहा कि हालांकि 10वीं शताब्दी के बाद सुधार आंदोलन के कारण महिलाओं की हालत में काफी सुधार हुआ।

 

आजादी के बाद लैंगिक समानता के सिद्धांत को भारतीय संविधान में निहित किया गया, उसके बावजूद महिलाओं को अभी भी अत्याचार और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उन्हें आज भी विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों से नीचा माना जाता है। उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश को अदालत में आने वाले सभी वादियों खास कर महिलाओं की गरिमा का विशेष ख्याल रखना चाहिए क्योंकि महिलाएं अदालत आने से पूर्व ही बहुत अपमान झेल चुकी होती हैं। महिलाओं के लिए यदि आवश्यक हो तो सभी कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए व अदालत में आई महिलाओं की लिंग भेद के खिलाफ रक्षा करनी चाहिए तथा प्राथमिकता के आधार पर महिलाओं से जुड़े मामलों का जल्दी से निपटारा करना चाहिए।

 

इस अवसर पर न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने कहा कि इस सम्मेलन का आयोजन समाज में प्रचलित लिंग पूर्वाग्रहों को समझना और गर्भ में लिंग जांच की बुराई व उसके आर्थिक परिणामों को उजागर करना तथा महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को उजागर करना है। इस अवसर पर पूर्व न्यायाधीश दिल्ली उच्च न्यायालय, पूर्व न्यायाधीश जम्मू-कश्मीर व दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफैसर ने प्रतिभागियों के साथ संवाद किया। सम्मेलन का समापन न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर के भाषण के साथ हुआ। सम्मेलन में 117 न्यायिक अधिकारियों सहित 30 छात्रों ने भाग लिया।

 


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