इस वजह से 10 हजार अभ्यर्थियों के भविष्य पर लटकी तलवार

punjabkesari.in Saturday, Apr 22, 2017 - 12:30 PM (IST)

सोलन: जूनियर ऑफिस असिस्टैंट के करीब 1,426 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया 2 वर्षों में भी पूरी नहीं हुई है, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। रिजल्ट में हो रही देरी के कारण करीब 10,000 अभ्यर्थियों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। एक महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी टंकण परीक्षा का रिजल्ट घोषित नहीं किया जा रहा है, वहीं हैरानी की बात यह है कि फरवरी 2015 में इन पदों के लिए आवेदन भरने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। उस समय इन पदों की संख्या कम थी लेकिन पद संख्या 447 में विभिन्न विभागों में जूनियर ऑफिस असिस्टैंट के पदों को भरने के लिए कई बार अधिसूचित किया गया।


इस परीक्षा में करीब 4,500 उम्मीदवारों ने ही भाग लिया
अक्तूबर, 2015 तक इन पदों की संख्या बढ़कर 1,426 हो गई। 10 अप्रैल, 2016 को इन पदों के लिए लिखित परीक्षा हुई, जिसका परिणाम जून, 2016 को घोषित किया गया। इस परीक्षा में 7,064 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया। इन अभ्यर्थियों की 26 से 30 अक्तूबर, 2016 के बीच में टंकण परीक्षा आयोजित हुई। इस परीक्षा में 7,064 अभ्यर्थियों में से करीब 6,000 ने ही भाग लिया। साक्षात्कार के लिए एक-तिहाई अभ्यर्थियों न मिलने के कारण 5,408 को 6 से 25 मार्च के बीच में हुई टंकण परीक्षा के लिए बुलाया गया। इस परीक्षा में करीब 4,500 अभ्यर्थियों ने ही भाग लिया। 


क्या कहते हैं टंकण परीक्षा देने वाले
टंकण परीक्षा देने वाले ललित शर्मा, अमित कुमार, श्रवण, राजू, मुकेश, कमल, संदीप कुमार, कपिल, प्रकाश, रीतू, राजेश कुमार, प्रवीण, मनजीत और ओम प्रकाश ने यहां जारी अपने बयान में प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि जूनियर आफिस असिस्टैंट की भर्ती प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने के आदेश दें क्योंकि वे पिछले 2 वर्षों से इसी परीक्षा को देने में लगे हुए हैं। उक्त अभ्यर्थियों का कहना है कि जब पहले चरण में अभ्यर्थियों ने टाइपिंग टैस्ट दिया था तो उसमें उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का परीक्षा परिणाम तो घोषित करना चाहिए था। 


कर्मचारी चयन आयोग का यह था तर्क
साक्षात्कार के लिए एक पद के लिए 3 या 5 अभ्यर्थियों को बुलाना अनिवार्य है। अक्तूबर, 2015 में हुई टंकण परीक्षा में भाग लेने वाले 6,000 में से कई इस परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो रहे थे। इसे देखते हुए अतिरिक्त को कॉल करनी पड़ी। 


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