इन 700 महिलाओं के जज्बे को सलाम, शून्य से नीचे तापमान में ऐसे पालती हैं परिवार का पेट
punjabkesari.in Sunday, Nov 12, 2017 - 04:45 PM (IST)
मनाली: यहां तापमान जीरो डिग्री रहता है। कोई भी इस ठंड में बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करता है। लेकिन इनका जज्बा तो देखिए, इनकी न दुकान है ना ही ढारा, फिर भी ये 700 के करीब महिलाएं एक दिन में सीजन के दौरान 1000 से 1200 सौ रुपए कमाती हैं। ये महिलाएं मर्दों से कम नहीं हैं। एक साथ रहने से इनकी सुरक्षा भी बनी रहती है। सूरज की पहली किरणें पड़ने से पहले ही ये महिलाएं चूल्हे चौके का काम निपटा लेती हैं। यहां सूरज की लालगी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
थर्मसें लेकर रोहतांग दर्रे की ओर निकल जाती हैं
हम बात कर रहे हैं कोठी, पलचान, सोलंग, कुलंग और रुवाड़ गांवों की, जो मनाली के करीब बसें हुए हैं। इन गांवों की महिलाएं हाड कंपा देने वाली ठंड में तड़के ही घर में खाना बनाने के बाद हाथों में चाय से भरी थर्मसें लेकर रोहतांग दर्रे की ओर निकल जाती हैं। मनाली से सभी महिलाएं गाड़ी हायर करके रोहतांग दर्रा में पहुंचती हैं और चाय बेचना शुरू कर देती हैं।
अपने थैले में भर लेती हैं डिस्पोजल
एनजीटी के आदेशों को ध्यान में रहते हुए ये महिलाएं यहां पर किसी प्रकार की गंदगी नहीं डालती हैं। इनता ही नहीं चाय के डिस्पोजल गिलासों को भी ये अपने थैले में भरकर ले आती हैं। साथ ही यहां आये हुए पर्यटकों को भी चाय से साथ नमकीन के लाये गए पैकेटों को यहां फेंकने से मना करती हैं। पर्यटक भी उनकी बातों पर गौर करते हैं। एनजीटी के आदेशों के तहत वहां पर पानी की खाली बोतलें भी नहीं फेंकी जानी चाहिए। जिससे की प्रदूषण को नुकसान न हो पाए। महिलाएं वहां पर पड़ी बोतलों को समेट भी देती हैं।
पुरुष वर्ग भी पर्यटन व्यवसाय से जुड़ा हुआ
समुद्र तल से 4111 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा की सुंदरता को देखने के लिए पूरी दुनिया से पर्यटक घूमने आते हैं। यहां के पुरुष भी पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हैं। वे यहां पर आने वाले पर्यटकों को उनकी जरूरत के मुताबिक कोट, बूट, गर्म कपड़े, माउंटेन बाइक, स्नो स्कूटर व पैराग्लाइडिंगर मुहैया करवाते हैं। यहां के पुरुष इस बिजनेस से काफी मुनाफा कमाकर अपने बच्चों को भरण पोषण करते हैं। साथ ही उन्हें अच्छी शिक्षा देने का काम भी करते हैं।
एक चाय की कीमत बीस और कॉफी की तीस
चाय के व्यवसाय से जुड़ी महिलाएं एक कप के बीस रुपए और कॉफी के कप के तीस रुपए लेती हैं। यहां पर मात्र डीजल के चार सौ और पेट्रोल के छह सौ वाहन ही पास होने के चलते महिलाएं सूरज ढलने से पहले ही अपने घरों की राह पकड़ लेती हैं। सही मायनों में ये चायवालियां मजबूत इरादों वाली हैं।