विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है प्रस्तावित एम्स, जानिए कैसे

punjabkesari.in Monday, Jun 26, 2017 - 01:49 AM (IST)

बिलासपुर: बिलासपुर के कोठीपुरा में प्रस्तावित एम्स मौजूदा समय में बिलासपुर जिला में ही नहीं, बल्कि प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। बिलासपुर के विकास में मील का पत्थर साबित होने वाले इस मुद्दे को लेकर बिलासपुर जिला के लोग असमंजस में हैं जबकि विपक्षी दल भाजपा व सत्ताधारी दल कांग्रेस के नेता इस मामले को लेकर एक-दूसरे को कटघरे में खड़ा कर अपनी राजनीतिक स्वार्थ की पूॢत करने में जुटे हैं। 60 के दशक में भाखड़ा बांध की वजह से बसे बिलासपुर के नए नगर में मौजूदा समय में व्यापार नाममात्र ही है। इसका सबसे बड़ा कारण यहां पर कोई बड़ा शिक्षण संस्थान और कोई अन्य चिकित्सा संस्थान न होना यहां के लोगों द्वारा बताया जाता है। एम्स को खोलने की घोषणा हुए करीब 3 साल का अरसा हो चुका है लेकिन अभी तक इसकी अधिसूचना तक केंद्र सरकार द्वारा जारी नहीं की गई है। इस बात का खुलासा आर.टी.आई. के माध्यम से ली गई सूचना में हुआ है। 

681.09 बीघा जमीन हो चुकी है स्वास्थ्य विभाग के नाम 
जानकारी के अनुसार केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट सैशन में अपने भाषण में वर्ष 2015-16 में देश में 6 एम्स खोलने की घोषणा की थी, जिसमें से एक हिमाचल में खोला जाना था। प्रदेश सरकार ने केंद्रीय मंत्री की घोषणा के अनुरूप कोठीपुरा में जमीन चयनित कर इसे यहां बनाने का निर्णय 26 दिसम्बर, 2014 को लिया था तथा इसके लिए कोठीपुरा में प्रदेश सरकार ने करीब 1208 बीघा भूमि चयनित की है, जिसमें से 681 बीघा 9 बिस्वा जमीन स्वास्थ्य विभाग के नाम पर 6 अप्रैल, 2016 को स्थानांतरित कर दी गई है जबकि अन्य जमीन वन विभाग की क्लीयरैंस न मिलने के कारण अभी तक स्थानांतरित नहीं हो पाई है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार ने एम्स के लिए अभी तक कोई फंड जारी नहीं किया है। केंद्र की एक टीम प्रदेश सरकार द्वारा चयनित जमीन का निरीक्षण कर चुकी है लेकिन अभी तक इस टीम ने अपनी रिपोर्ट बारे भी प्रदेश सरकार को कोई सूचना नहीं दी है कि यह जमीन एम्स बनाने के लिए पर्याप्त है या नहीं। 

एम्स के लिए अभी तक कोई ऑर्डर नहीं 
अधिवक्ता एवं जिला सुधार मंच बिलासपुर के अध्यक्ष विजय ठाकुर का कहना है कि सूचना के अधिकार के तहत दी गई सूचना में केंद्र सरकार के अंडर सैके्रटरी विनोद कुमार ने कहा है कि कोठीपुरा के एम्स के लिए अभी तक कोई ऑर्डर नहीं हुए हैं और न ही इसके लिए अभी तक कोई एम.ओ.यू. हुआ है। उन्होंने कहा कि बिलासपुर हित में केंद्र सरकार को शीघ्र इसकी अधिसूचना जारी करनी चाहिए और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को इसमें व्यक्तिगत रुचि लेकर इसका शीघ्र शिलान्यास करवाना चाहिए।

 नहीं तो रैवन्यू विभाग को वापस हो जाएगी जमीन
प्रदेश सरकार ने जमीन को स्थानांतरित करते समय यह शर्त साथ में लगाई है कि यदि 2 साल के भीतर इस जमीन पर काम शुरू नहीं होता है तो यह जमीन दोबारा रैवन्यू विभाग को वापस हो जाएगी। एम्स को लेकर पूरे प्रदेश में राजनीति गर्मा चुकी है तथा आगामी विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। एम्स को लेकर जहां प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री तर्क दे रहे हैं कि जब तक इसकी अधिसूचना केंद्र जारी नहीं करता, तब तक इसकी फोरैस्ट क्लीयरैंस नहीं मिलेगी। वहीं भाजपा का तर्क है कि जब तक पूरी जमीन स्थानांतरित नहीं होगी, तब तक इसकी नोटिफिकेशन व शिलान्यास नहीं हो सकता।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री शीघ्र करवाएं शिलान्यास 
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव, पूर्व मंत्री एवं बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष राम लाल ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने जमीन का चयन कर उसमें से 681 बीघा जमीन स्वास्थ्य विभाग के नाम कर दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपना काम कर दिया है तथा अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है। उन्होंने कहा कि शेष बची भूमि को फोरैस्ट क्लीयरैंस लेने के लिए केस भेजते समय इसकी नोटिफिकेशन की कापी साथ लगानी होगी कि इस जमीन पर क्या काम करना है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इसकी नोटिफिकेशन ही जारी नहीं की है। केंद्र सरकार को इसकी शीघ्र नोटिफिकेशन जारी करनी चाहिए और बिलासपुर से संबंधित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को शीघ्र इसका शिलान्यास करवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति में परिस्थितियां बदलते देर नहीं लगती। लिहाजा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को भी इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। 

जब तक सारी भूमि उपलब्ध नहीं, तब तक शिलान्यास नहीं
सांसद अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि जब तक प्रदेश सरकार एम्स के लिए सारी भूमि उपलब्ध नहीं करवाती, तब तक इसका शिलान्यास नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उनके संसदीय क्षेत्र के साथ जानबूझकर विकास के मामले में भेदभाव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले सैंट्रल यूनिवर्सिटी देहरा के साथ भी ऐसा ही हुआ है। राजनीतिक द्वेष के चलते प्रदेश सरकार इसके लिए 2011 में चयनित 85 बीघा जमीन की अभी तक डिमार्केशन तक नहीं करवा पाई है। उन्होंने कहा कि जिस दिन प्रदेश सरकार इसके लिए पूरी भूमि उपलब्ध करवा देगी, इसका शिलान्यास भी करवा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार विकास के मामले में रोड़े अटकाने का प्रयास करती रही है। मुख्यमंत्री ने हाईड्रो इंजीनियरिंग कालेज का शिलान्यास 6 वर्ष तक रुकवाए रखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र की भाजपा सरकार एम्स को बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। 


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