चुनाव जीतने की खुशी में नेता को धाम पड़ेगी महंगी, मेंढ़ों-बकरों की कीमत में आया जबरदस्त उछाल

punjabkesari.in Saturday, Dec 09, 2017 - 12:59 AM (IST)

मंडी: विधानसभा चुनाव नतीजे का दिन नजदीक आते ही मेंढ़ों व बकरों की कीमत में जबरदस्त उछाल आ गया है। जो बकरा पहले 20 से 25 हजार में और मेंढ़ा 30 से 35 हजार में आसानी से मिलता था वहीं अब बकरा 25 से 30 और मेंढ़ा 40 से 45 हजार में मिल रहा है, जिससे जाहिर है कि इस बार चुनाव जीतने की खुशी में नेता जी को धाम महंगी पड़ेगी। एक धाम में कम से कम 20 से 25 बकरे या मेंढ़े कटते हैं, जिससे 10 से 12 हजार लोगों को मीट वाली धाम खिलाई जा सकती है। बकरों व मेंढ़ों के रेट में भारी उछाल आने से नेताओं के कर्ताधर्ता परेशान हैं, वहीं ग्रामीण भेड़पालकों को उम्मीद है कि इस बार चुनाव तक रेट और ज्यादा बढ़ सकते हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि एक मेंढ़े की कीमत 50 हजार तक पहुंच सकती है लेकिन यह रेट उसके वजन के आधार पर ग्रामीण तय करते हैं। 

बकरों व मेंढ़ों को जमकर खिलाया जाता है अनाज
खास बात यह है कि ग्रामीण इन दिनों ऐसे बिकने वाले बकरों व मेंढ़ों को जमकर अनाज खिलाते हैं, जिससे उनका एक माह में ही वजन 8 से 10 किलो बढ़ जाता है लेकिन ऐसे बकरों व मेंढ़ों में चर्बी ज्यादा निकलती है। इसी लालच में भेड़पालक रेट में बढ़ौतरी कर देते हैं और जमकर ऐसे मौकों का फायदा उठाते हुए चांदी कूटते हैं। सराज के तावे राम का कहना है कि इस व्यवसाय में मेहनत काफी लगती है लेकिन चुनाव के वक्त बिकने वाले बकरों व मेंढ़ों की कीमत भी खास होती है क्योंकि नेताओं में बड़े से बड़ा बकरा व मेंढ़ा देवता को चढ़ाने व जनता को दिखाने की लालसा रहती है ताकि इस बात की ख्याति ज्यादा मिले कि फ लां नेता ने इतना बड़ा बकरा या मेंढ़ा काटा। दं्रग के शोभराम का कहना है कि एक मेंढ़े को पालने में 2 से 4 वर्ष लगते हैं और इन्हें बंद अंधेरे वाले बाड़े में रखा जाता है। ऐसे मेंढ़े की ही डिमांड रहती है। 

द्रंग व सराज में चुनाव परिणाम आने के बाद कटते हैं सैंकड़ों बकरे 
मंडी जिला के तहत दं्रग व सराज में सैंकड़ों बकरे चुनाव परिणाम आने के बाद कटते हैं। यहां नेताओं के खासमखास प्रधान व गांव के मुखिया अपने प्रत्याशी की जीत पर ग्रामीणों को धाम खिलाते हैं और वहां आभार जताने जीता हुआ विधायक भी जाता है। इस बार चुनाव नतीजों के बाद लोहड़ी नजदीक है और मकर संक्रांति के दिन लोग घरों व गांव में बकरे काटते हैं जो परम्परा का हिस्सा है।

यहां मिलता है बड़े से बड़ा बकरा व मेंढ़ा
कुल्लू जिला के मणिकर्ण, लग वैली, बंजार के सैंज व गुशैणी और गाड़ागुशैणी, आनी के दलाश व बागीपुल, रामपुर के खर्गा सर्गा, द्रंग के स्नोर, सराज के जंजैहली व छतरी और करसोग में बड़े से बड़ा बकरे और मेंढ़े मिलते हैं जिनकी कीमत 40 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक हो सकती है और वजन जिंदा मेंढ़ा का करीब ज्यादा से ज्यादा 60 से 70 किलोग्राम तक होता है जबकि बकरा 40 से 50 किलोग्राम तक होता है। 


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