हिमाचल की इस पहली महिला ड्राइवर का है यह सबसे बड़ा सपना

punjabkesari.in Sunday, Dec 10, 2017 - 09:26 AM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश की पहली एच.आर.टी.सी. महिला ड्राइवर सीमा ठाकुर का सबसे बड़ा सपना वोल्वो बस चलाने का है। उनका कहना है कि वह वोल्वो चलाने की ट्रेनिंग पर जाना चाहती हैं और शीघ्र अपनी योजना को सिरे चढ़ाने के लिए एच.आर.टी.सी. के उच्चाधिकारियों से बात करेंगी। उनका मानना है कि जब उन्होंने वे सभी ड्राइविंग टैस्ट पास कर लिए हैं, जोकि पुरुष ड्राइवर पास करते हैं तो उन्हें भी पुरुष ड्राइवरों की तर्ज पर बस चलाने का मौका दिया जाना चाहिए। इसके लिए वह नाइट शिफ्ट देने के लिए भी तैयार है। जिला सोलन के डुढाणा अर्की की रहने वाली सीमा ठाकुर ने बचपन में ही अपने पापा की गोद में बैठ कर ड्राइविंग के गुर सीखे। अब वह एच.आर.टी.सी. में टैक्सी चलाकर अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा रही हैं। इन दिनों वह राजधानी के ओल्ड बस स्टैंड से सी.टी.ओ. तक निगम की टैक्सी चला रही हैं। पेश है जय सिंह ठाकुर के साथ हुई उनकी बातचीत के कुछ अंश। 
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आपने ड्राइविंग को ही प्रोफैशन के तौर पर चुनने के बारे में कब और क्यों सोचा।
छोटी उम्र में जब आसमान में उड़ते जहाज को देखती थी तो मेरा भी मन इसी तरह कुछ अलग करने को करता था। पापा की गोद में बैठकर अक्सर बस का स्टेयरिंग घुमाया करती थी। 5वीं-छठी क्लास से ही बस की छोटी-मोटी तकनीकी बारीकियों को भी सीख लिया था। 19 वर्ष की आयु में पापा के बगैर ही बस चला लेती थी। तभी से इसी प्रोफैशन में रहने की इच्छा जागृत हुई। आज हालांकि मैं एच.आर.टी.सी. में बतौर महिला चालक तैनात हूं लेकिन अभी मेरा सपना पूरा नहीं हुआ है और बहुत कुछ करना बाकी है। 
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ड्राइविंग प्रोफैशन को चुनने के लिए कौन-कौन सी चुनौतियां सामने आईं और उनका कैसे सामना किया।
बचपन से ही जब स्टेयरिंग घुमाना शुरू कर दिया था तो घर पर भी किसी ने वाहन चलाने से नहीं रोका। हालांकि नैगेटिव दिमाग रखने वाले लोग इस प्रोफैशन से खुश नहीं थे लेकिन मैंने कभी हिम्म्मत नहीं हारी। मेरे माता-पिता ने मेरा पूरा साथ दिया है और उनके साथ की वजह से ही आज मैं इस प्रोफैशन में हूं। 


एच.आर.टी.सी. की टैक्सी चलाते समय सवारियों का रिस्पांस कैसा रहता है।
इन दिनों एच.आर.टी.सी. की टैक्सी चला रही हूं, जिसमें गाड़ी चलाने के साथ ही टिकट काटने का कार्य भी करना पड़ता है। लोगों के साथ भी मेरा सीधा संवाद होता है। लोग महिला ड्राइवर को देखकर पहले जरूर चौंकते थे लेकिन अब निरंतर टैक्सी चलाने के कारण सब कुछ सामान्य हो चुका है।  


प्रश्न 4. आप अपने जीवन में प्रेरणा स्त्रोत किसको मानते हो।
मेरे माता-पिता ही मेरे लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं। हालांकि मेरे पिता आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन आज में उन्हीं की वजह से अपने पैरों पर खड़ी हूं। मेरे माता-पिता ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है और हर समय मेरे जीवन में वे मुझे प्रेरणा देते हैं। 


एच.आर.टी.सी. प्रबंधन से आपकी क्या मांग है। 
निगम प्रबंधन को मेरे लक्ष्य के बारे में बखूबी पता है लेकिन वोल्वो बस चलाने से पहले यदि मुझे ऑॢडनरी बस भी चलाने को दी जाती है तो मुझे कोई परेशानी नहीं है। जब मेरे पास हैवी व्हीकल लाइसैंस है और मैंने निगम के अन्य ड्राइवरों की तरह टैस्ट पास किया है तो मुझे भी बस चलाने का मौका दिया जाना चाहिए। 


जीवन में आपने अपना क्या लक्ष्य तय किया है।
मेरा बचपन से वोल्वो बस चलाने का सपना रहा है और मुझे पूरी उम्मीद है कि एक दिन यह सपना जरूर पूरा होगा।


महिलाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगी। 
जीवन में किसी भी कार्य को करने के लिए अपने ऊपर विश्वास होना जरूरी है और हर कार्य को बजाय किसी और का सहारा लेने के अपने दम पर करना चाहिए, तभी कामयाबी हाथ लगेगी। अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहने से ही देर-सवेर नया मुकाम हासिल किया जा सकता है। 


ड्राइविंग प्रोफैशन महिलाओं के लिए कितना सेफ और सही है।
इस प्रोफैशन में कोई कमी नहीं है। ड्राइविंग के लिए हर वाहन में अलग से चालकों के लिए अलग से सीट होती है, ऐसे में ड्राइविंग करने में कोई परेशानी नहीं होती। जब महिलाएं आसमान में जहाज उड़ा सकती हैं, हॉस्पिटल में देर रात को सेवाएं दे सकती हैं, पुलिस और सेना में अपनी सेवाएं दे रही हैं और वहां पर सभी सेफ हैं तो ड्राइविंग भी महिलाओं के लिए ऐसे ही सेफ है। 


क्या आपको अपने प्रोफैशन से कोई शिकायत है। 
महिला ड्राइवर होते हुए मेरे ऊपर कई तरह की बंदिशें लगाई गई हैं। महिला और पुरुषों के लिए समान कार्य के लिए समान नियम होने चाहिए।


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