शिक्षा विभाग ने जारी किया फरमान, अब शिक्षकों को इस काम के लिए नहीं मिलेगी कैजुअल लीव

punjabkesari.in Friday, Jun 23, 2017 - 02:01 AM (IST)

नाहन/शिमला: मांगों के समर्थन में हड़ताल व धरने देकर सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होने वाले शिक्षकों की भविष्य में कैजुअल लीव स्वीकृत नहीं की जाएगी। सरकार के ये आदेश स्कूलों में तैनात मिनिस्ट्रियल स्टाफ पर भी लागू होंगे। हाल ही में हुए अनुभवों के बाद राज्य सरकार ने शिक्षकों पर शिकंजा कसा है। बता दें कि हाल ही में राज्य भर से बहुत से शिक्षक कैजुअल लीव थमाकर शिमला में धरने में शामिल हुए थे। यही नहीं, शिक्षकों ने अफसरों के लिए सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन भी किया था, जिसका सरकार ने कड़ा संज्ञान लिया था और ऐसे शिक्षकों को नोटिस थमाए थे। इसके बाद सरकार ने यह कार्रवाई की है। शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी 21 जून के आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि अगर इस मामले में आदेशों की अवहेलना हुई तो दोषी स्कूल प्रबंधनों के खिलाफ विभाग द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि लम्बे अर्से से शिक्षक अपनी मांगों के समर्थन में बैठकों व धरनों आदि के लिए अपने संबंधित स्कूल के प्रधानाचार्यों व हैडमास्टरों को कैजुअल लीव थमाकर चले जाते थे। 

धरने में गए शिक्षकों की कैजुअल लीव की होगी जांच-पड़ताल
शिक्षा विभाग ने सभी स्कूल मुखिया को निर्देश जारी कर 27 मई को विधानसभा के बाहर धरना देने वाले शिक्षकों की कैजुअल लीव की पड़ताल करने को कहा है। सभी स्कूल मुखिया को इस दौरान देखना होगा कि यदि शिक्षक ने छुट्टी ली है तो उसने क्या कारण बताकर छुट्टी के लिए आवेदन किया है। इसके बाद स्कूल मुखिया को इसकी रिपोर्ट बनाकर विभाग को भेजनी होगी जिसे विभाग आगे सरकार को भेजेगा। इसके बाद ही धरने में गए शिक्षकों पर कार्रवाई करने पर कोई फैसला लिया जाएगा। 

8 किलोमीटर से बाहर जाने पर बताना होगा स्टेशन 
शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेशों में अब तमाम शिक्षकों को कैजुअल लीव लेने के लिए आवेदन में यह स्पष्ट करना होगा कि छुट्टी लेने का कारण क्या है। अगर वे स्टेशन छोड़ रहे हैं या स्टेशन लीव ले रहे हैं तो वे कहा जा रहे हैं, उस स्टेशन का नाम भी आवेदन पत्र में देना लाजिमी होगा। आवेदन में यह भी नहीं बताया जाता था कि वास्तव में वे किस काम के लिए जा रहे हैं और छुट्टी लेने का क्या कारण है और किस स्टेशन पर जा रहे हैं। ऐसे में सालों से अनुशासनहीनता बढ़ रही थी। खासतौर से कर्मचारियों की राजनीति करने वाले शिक्षक व उनके नेता मनमर्जी से स्कूल आ-जा रहे थे और लगातार बैठकों आदि में शामिल हो रहे थे। 


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