कांग्रेस प्रत्याशी दीपक राठौर को मलाल, बोले-ठियोग को बड़े नेताओं ने किया नजरअंदाज
punjabkesari.in Saturday, Nov 18, 2017 - 12:16 AM (IST)
शिमला: 13वीं विधानसभा के लिए इस बार के चुनाव में कई सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर अंतिम समय तक पार्टियों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। ऐसी ही एक सीट ठियोग रही जोकि कांग्रेस की उम्रदराज नेत्री मैडम विद्या स्टोक्स की परंपरागत सीट रही है तथा अंत समय तक हॉट बनी रही। चुनाव से पहले ही विद्या स्टोक्स ने इस बार चुनाव न लडऩे का निर्णय लेकर इस सीट को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए खाली करने का ऐलान किया था लेकिन बड़े हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद मुख्यमंत्री ने अर्की सीट की ओर रुख कर दिया, जिसके बाद राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले दीपक राठौर ने अंत समय में टिकट झटक लिया। संगठन की जिम्मेदारियों का पिछले कई सालों से बड़ी शिद्दत से निर्वहन कर रहे दीपक राठौर को टिकट मिलने का विरोध करते हुए स्टोक्स ने टिकट बदलने की मांग भी की थी और आनन-फानन में अस्वस्थ होने के बावजूद स्वयं नामांकन भर दिया मगर उनका नामांकन रद्द हो गया। हमारे संवाददाता ने ठियोग सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दीपक राठौर से कुछ ऐसे सवालों को लेकर बातचीत की। पेश हैं उसके कुछ अंश :-
राजनीति में किसे आदर्श मानते हैं?
इंदिरा गांधी को आदर्श मानता हूं।
ठियोग सीट बारे क्या कहना है आपका?
ठियोग सीट पर बहुत अच्छा चुनाव लड़ा है लेकिन बड़े नेताओं द्वारा नजरअंदाज करने से थोड़ा सा नुक्सान हुआ है। उन्होंने साथ नहीं दिया।
संगठन कहता है आपने जल्दबाजी की। वीरभद्र कह रहे मैं जिम्मेदार नहीं, क्या कहना है आपका?
जल्दबाजी जैसी कोई बात नहीं है। पिछले 25 सालों से पार्टी के लिए कार्य कर रहा हूं। वर्ष 2008 से लेकर अब तक बाहर ही संगठन में काम किया है। पिछले 8 सालों से लगातार कई राज्यों में कार्य कर रहा हूं। संगठन की जिम्मेदारी के चलते अपने घर पर भी 2 या 3 दिन से अधिक समय तक नहीं रहता हूं।
मैडम विद्या स्टोक्स के नामांकन रद्द होने के पीछे सच क्या है?
मैडम विद्या स्टोक्स की आवेदन प्रक्रिया में कुछ औपचारिकताएं रह गई थीं।
क्या आपको नहीं लगता कि विरोधियों से ज्यादा आपको अपनों से सामना करना पड़ा?
यह सच है और इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।
विक्रमादित्य और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सीट बारे क्या कहना है आपका?
भगवान से प्रार्थना है कि दोनों भारी बहुमत से जीत हासिल करें।
चुनाव में कांग्रेस की कोई कमी?
ठियोग से सौतेला व्यवहार किया गया, जिससे कार्यकर्ता हताश हुए।
पहला चुनाव था, कोई ऐसी बात जो अच्छी न लगी हो?
चुनाव पार्टी लड़ती है, न कि कोई व्यक्ति विशेष। पार्टी के बड़े नेता अगर प्रश्नवाचक चिह्न लगा दें तो दुख होता है। पार्टी के बड़े नेता धोखा दे गए लेकिन इसके बावजूद कार्यकर्ताओं ने बड़े उत्साह और हिम्मत का परिचय दिया।
मैडम विद्या स्टोक्स की बात में कितनी सच्चाई कि आपने जल्दबाजी की?
उनका वक्तव्य दुर्भाग्यपूर्ण था। जब हम लड़ाई लड़ते हैं तो एक विचारधारा की लड़ाई लड़ते हैं और टिकट एक बार जब किसी का हो जाता है तो इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना बयान देना दुखद है क्योंकि पार्टी विचारधारा पर ही चलती है। इसके अलावा मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की। मुझे 22 अक्तूबर शाम को ई-मेल आ गई थी कि कांग्रेस प्रत्याशी उन्हें बनाया गया है और 23 अक्तूबर को नामांकन का आखिरी दिन था तो उन्होंने पार्टी के आदेशों के अनुसार सुबह ही अपना आवेदन किया था। जब मुझे पता चला कि विद्या स्टोक्स चुनाव लड़ सकती हैं, तब उन्होंने अपना निर्वाचन अधिकारी को लिखित में दिया था कि अब विद्या स्टोक्स चुनाव लड़ेंगी और उनका नामांकन रद्द किया जाए।
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