CBI जांच में खुलासा, कोल्ड चेन प्रोजैक्ट में करोड़ों का फर्जीवाड़ा

punjabkesari.in Saturday, Jul 22, 2017 - 11:08 AM (IST)

शिमला: हिमाचल में कोल्ड चेन प्रोजैक्ट स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार की करोड़ों रुपए की ग्रांट में फर्जीवाड़े के आरोप जांच में सही साबित होने लगे हैं। इस मामले में सी.बी.आई. जांच तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में केंद्र सरकार के अधिकारियों से शिमला स्थित ब्रांच में पूछताछ आरंभ हो गई है। जांच एजैंसी को इस केस के सिलसिले में कई और अहम सुराग हाथ लगे हैं। सी.बी.आई. को गोपनीय सूचना मिली थी कि मैसर्ज रिसोर्स फूड प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर ने इंटीग्रेटिड कोल्ड चेन प्रोजैक्ट स्थापित करने के लिए 9 करोड़ रुपए की सब्सिडी प्राप्त की। इसके लिए पंजाब के राजगढ़ में 21 करोड़ रुपए का प्रोजैक्ट लगाया जाना था। यह ग्रांट फूड प्रोसैसिंग इंडस्ट्रीज (एम.ओ. एफ.पी.आई.) को केंद्र सरकार से 2012 में मिलनी थी लेकिन मैसर्ज हिलक्रेस्ट फूड्स कंपनी और केंद्र सरकार के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से इस ग्रांट का जमकर दुरुपयोग किया गया।


इस सूचना की तहकीकात के लिए एक टीम गठित की गई। शिकायत को वैरीफाई किया गया। इस दौरान पता चला कि मैसर्ज हिलक्रेस्ट फूड की पार्टनर पाली दीवान ने केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा था। इसमें इस फर्म और मैसर्ज हिमालयन बैज के नाम पर नालागढ़ के बेरसान में प्रोजैक्ट स्थापित करने के लिए स्वीकृति देने का आग्रह किया गया था। यह प्रस्ताव 29 सितम्बर, 2010 को मूव किया गया। टैक्रीकल कमेटी की सिफारिश के आधार पर इंटर मिनीस्ट्रियल अप्रूवल कमेटी ने इसके लिए 788 लाख रुपए की ग्रांट की 4 तरह की सुविधाओं के लिए स्वीकृति दे दी। इसके लिए 25 मई, 2011 को पत्र जारी हुआ। इसमें सी.ए. स्टोर, प्री कूलिंग चैंबर, ग्रेडिंग, पैकिंग लाइन व कलैक्शन सैंटर का निर्माण होना था। 


क्या निकला वैरीफिकेशन में
अगली वैरीफिकेशन में पाया गया कि मैसर्ज फूड प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक लॉरैंस ने 10 जुलाई को केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा था। इसमें ग्रांट स्वीकृत करने की मांग की गई थी। कहा गया था कि उनकी फर्म के पास राजगढ़ में प्रोसैसिंग सैंटर है। इसी फर्म की दूसरी निदेशक ’योति पैरिस है। आई.एम.एस.सी. ने इसे 9 फरवरी, 2013 को खारिज कर दिया। तर्क दिया गया कि इस फर्म ने पहले ही 400 लाख यानी 4 करोड़ की ग्रांट फ्रूट एंड वैजीटेबल सैंटर के लिए ले रखी है। हॉर्टीकल्चर मिशन के तहत यह ग्रांट मिली थी। फर्म ने 20 फरवरी को स्पष्टीकरण दिया। इसके बाद 28 फरवरी, 2013 को 973 लाख यानी 9 करोड़ 73 लाख रुपए की ग्रांट स्वीकृत हुई। यह ग्रांट राजगढ़ गांव में इंटीग्रेटिड कोल्ड चेन सुविधा के लिए 19 नवम्बर व 16 दिसम्बर 2013 को जारी की थी। इसके लिए भी किस्तों में ग्रांट जारी हुई। इसके तहत कसौली के मौजा कोटी में कलैक्शन सैंटर भी खोला जाना था। जांच में पाया कि प्रोजैक्ट स्थल से प्लांट के कंपोनैंट गायब थे जबकि कोल्ड स्टोर कसौली के कोटी गांव में दिखाया गया, जो वहां बना ही नहीं था। 


इनके खिलाफ दर्ज हुआ है मामला
इन आरोपों को वैरीफाई करने के बाद जांच एजैंसी ने मैसर्ज हिलक्रेस्ट फूड के प्रमोटर प्रवीण दीवान, पाली दीवान, कनान दीवान, मैसर्ज रिसोर्स फूड प्राइवेट लिमिटेड के लॉरैंस पेरिस, ’योति पैरिस और अज्ञात सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आई.पी.एस. की धारा 420, 467, 468 व 471 के तहत केस दर्ज किया गया। अब इसी संबंध में अधिकारियों से पूछताछ हो रही है। इसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकती है।


क्या पाया प्रारंभिक जांच में
प्रारंभिक जांच में पाया गया कि ग्रांट को थोड़ा कम कर 7 करोड़ 68 लाख 125 रुपए किया गया। पहली किस्त 25 प्रतिशत के तौर पर 1,96,67,250 रुपए, दूसरी किस्त के रूप में 50 प्रतिशत 3,93,34,500 रुपए और अंतिम किस्त के तौर पर 1,78,65,375 रुपए वर्ष 2012 में 3 फरवरी, 28 अगस्त और 9 मई को जारी हुए। फर्म ने चंडीगढ़ से बैंक ऑफ इंडिया से भी 1 करोड़ का लोन लिया। प्रोजैक्ट मैनेजमैंट एजैंसी मैसर्ज आई.एल. एंड एफ.एस. कलस्टर डिवैल्पमैंट इनीशिएटिव लिमिडेट ने दस्तावेजों का परीक्षण किया। इसी ने पहली और दूसरी किस्त जारी करने से पहले प्रोजैक्ट का दौरा किया। संयुक्त निरीक्षण टीम में एम.ओ.एफ.आई., एपेडा, संबंधित बैंक व पी.एम.ए . ने फिजीकल वैरीफिकेशन की। यह निरीक्षण 2 मार्च, 2014 को हुआ। कमेटी ने कलैक्शन सैंटर का भी दौरा किया। उन्होंने केंंद्र से तीसरी और अंतिम किस्त जारी करने का सिफारिश की। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News