छात्रों के भविष्य से ऐसे खेलता है बोर्ड, पेपर चैक किए बैगर ही दे दिया जीरो

punjabkesari.in Thursday, Jun 22, 2017 - 07:49 PM (IST)

शिमला\धर्मशाला: 12वीं की वार्षिक परीक्षा में हमीरपुर के दरब्यार और पौहंज स्कूल की पूरी कक्षाएं ही गणित विषय में फेल कर दी गई थीं। बच्चों की ओर से जब आर.टी.आई. से जानकारी ली गई तो शिक्षा बोर्ड ने दोनों ही स्कूलों के सभी विद्यार्थियों को पास घोषित कर दिया था। अब हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की जांच में पता चला है कि पेपर चैक करने वाले अध्यापकों ने ठीक ढंग से पेपर चैक किए बिना ही बच्चों को जीरो नंबर दे दिए थे। बोर्ड ने गलत मूल्यांकन करने वाले अध्यापकों के नाम प्रदेश सरकार और शिक्षा निदेशालय को भेज दिए हैं। अब निदेशालय इन पर कार्रवाई करेगा। मामले की जांच के लिए बोर्ड के उच्च अधिकारियों की देखरेख में एक जांच कमेटी बना दी गई थी। पूरी जांच के बाद ही रिपोर्ट को बोर्ड सचिव और अध्यक्ष को सौंपा गया है। 

फर्स्ट  डिविजन में पास हुए छात्र
बता दें कि स्कूल शिक्षा बोर्ड ने बीते मार्च माह में दसवीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं ली थीं। 24 अप्रैल को 12वीं कक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया था। इसमें राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दरब्यार और पौहंज की गणित विषय की पूरी कक्षा फेल हो गई थी। आलम यह रहा कि इनमें से एक छात्र दरब्यार स्कूल के शिवम ने जे.ई.ई. की परीक्षा पास की थी। जब छात्रों को संदेह हुआ कि जीरो नंबर कैसे आ गए तो उन्होंने आर.टी.आई. के जरिए आवेदन किया। इसके बाद सभी 6 छात्र न सिर्फ पास हुए बल्कि फस्र्ट डिविजन में पास हुए। पौहंज स्कूल ने भी आर.टी.आई. से आवेदन किया तो यहां भी पूरी क्लास पास हो गई।

साफतौर पर लापरवाही का मामला 
दरअसल सब एग्जामिनर (जिनका काम पेपर चेक करना होता है), हैड एग्जामिनर (जो रैंडमली यह चैक करता है कि सब एग्जामिनर्स नियमों के आधार पर मूल्यांकन कर रहे हैं या नहीं) और चैकिंग असिस्टैंट (जिसका काम रैंडमली यह चैक करना है कि सब एग्जामिनर दिए गए अंकों का जोड़ बगैरह सही है या नहीं) से यह बड़ी चूक हुई है। इस मामले में कार्रवाई करने की जिम्मेदारी अब शिक्षा निदेशालय की है। यह साफतौर पर लापरवाही का मामला है और बच्चों का मनोबल तोडऩे वाला काम भी है।

दोषी अध्यापकों को मिलनी चाहिए कड़ी सजा
 इस मामले में कड़ी कार्रवाई किया जाना जरूरी है ताकि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले अध्यापकों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है ताकि भविष्य में पेपर चैक करने वाले अध्यापक लापरवाही बरतने से पहले सौ बार सोचें। इस तरह के मामले पहले भी देखने को मिलते रहे हैं और लापरवाही पाए जाने पर ऐसे अध्यापकों को ज्यादा से ज्यादा पेपर चैक करने से रोक दिया जाता। मगर जानकारों का कहना है कि यह सजा काफी नहीं है।


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