BJP प्रत्याशी इंदु गोस्वामी ने टिकट मिलने को लेकर किया खुलासा
punjabkesari.in Wednesday, Nov 15, 2017 - 11:48 AM (IST)
पालमपुर: इस बार विधानसभा चुनाव में हॉट सीट बने पालमपुर में बीजेपी की महिला प्रत्याशी इंदु गोस्वामी से संवाददाता प्रवीण शर्मा से विशेष बातचीत में अपनी टिकट को लेकर खुलासा किया है।
आपने सोचा था कि इस बार आप पालमपुर से चुनाव लड़ेंगी क्योंकि किसी को पता नहीं था। ऐन मौके पर आप का नाम आ गया! कितनी तैयार थीं आप चुनाव लड़ने के लिए?
सोचा नहीं था चुनाव लड़ूंगी, लेकिन वैसे तो संगठन में काफी समय से काम कर रही हूं। जो प्रत्याशी चुनाव लड़ते थे, उनके साथ काम किया है लेकिन यह पता नहीं था कि चुनाव खुद लड़ना पड़ेगा।
आपको नहीं लगता कि शांता कुमार की इच्छा के विरुद्ध टिकट लेकर आपने उनके गढ़ में ही बड़ी गलती कर ली?
ऐसा कुछ नहीं है। संगठन ने तय किया है कि वह चुनाव लड़े। प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व ने तय किया है और चुनाव समिति में सभी प्रमुख नेता रहते हैं तथा शांता कुमार जी का उन्हें पूर्ण सहयोग मिला।
क्या कारण रहा कि जिस मनोयोग से शांता कुमार प्रवीण शर्मा के लिए मैदान में आते थे, वैसे आपके लिए नहीं आए। अव्वल तो आखिर की एक सभा को छोड़कर निकले ही नहीं, क्या उनके इस अनमने को आपको इस चुनाव में नुक्सान के रूप में आंकें?
मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ हुआ है। शांता कुमार जी के पास चम्बा और कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में प्रचार-प्रसार करने का जिम्मा था। उन्होंने सब जगह जाना था तथा हर विधानसभा में वह 1-2 सभा ही कर सके हैं। सुलह-बैजनाथ में भी उन्होंने 1-1 सभा की है। अंतिम दिन में सुलह और पालमपुर में जनसभाएं की हैं।
कांगड़ा में कितनी सीटें जीत रही है भाजपा, कांगड़ा में बीजेपी की जीत होती है तो इसका श्रेय किसको देंगी?
बीजेपी की कांगड़ा में सभी सीटों पर जीत हासिल हो रही है और बहुमत से जीतेंगे तथा इसका श्रेय भाजपा के प्रदेश नेतृत्व, केंद्रीय नेतृत्व एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा आम कार्यकर्ताओं को जाता है। आपके पास आपकी जीत के दावे का आधार क्या है जबकि बी.जे.पी. से एक पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री शांता कुमार के शिष्य मैदान में हैं। बीजेपी का संगठन मेरी जीत को सुनिश्चित करेगा। जनता में विकास के जिन मुद्दों को लेकर मैं गई हूं और खासकर महिलाएं व युवा शक्ति मेरे साथ चुनावों में खुलकर चली है। ये दोनों मेरे जीत के दावे को पुख्ता करते हैं।
कहा जा रहा है कि टिकेट आबंटन में अंतिम दौर में आपने महिलाओं के लिए टिकट की मांग की, तब बाजी पलट गई, इसमें कितनी सच्चाई है?
अंत में नहीं पहले से ही संगठन के समक्ष महिलाओं के दावे को रखा था और संगठन भी इस बार चाहता था कि इस बार महिलाओं को टिकट दिए जाएं। सुनी-सुनाई बातें हैं, मेरे बोलने से क्या होता है। संगठन ने तय किया था कि महिलाओं को टिकट मिले तथा भाजपा संगठन चाहता था कि महिलाएं चुनाव में उतरें।
कहा जाता है कि आपकी पी.एम.ओ. में डायरैक्ट पहुंच है। क्या यह सच है, अगर ऐसा है तो फिर कांगड़ा और खासकर पालमपुर के लिए केंद्र से विकास के दरवाजे खोलने के लिए कोई योजना है मन में?
मुझे भाजपा ने चुनाव लड़ाया है और पी.एम.ओ. में भाजपा के प्रत्येक नेता की पहुंच है। हिमाचल की इसलिए ज्यादा है क्योंकि यहां पर नरेंद्र मोदी जी संगठन मंत्री रहे हैं। उनके साथ सबने काम किया है और जहां तक योजना की बात है तो प्रदेश में भाजपा सरकार आ रही है और केंद्र में भाजपा की सरकार मौजूद है। इसलिए पालमपुर में विकास के दरवाजे तो खुलेंगे ही। भविष्य में प्रमुख प्रबुद्ध व्यक्तियों के साथ चर्चा करके जो भी विकास जरूरी होगा, प्रदेश सरकार व केंद्र के सहयोग को लेकर उसे पूरा करूंगी लेकिन सबसे पहले मैं विधायक बन जाऊं।
अगर आप चुनाव हार जाती हैं तो फिर क्या करेंगी?
तब भी लोगों की सेवा करूंगी। वैसे चुनाव हारने का सवाल ही पैदा नहीं होता है, मैं चुनाव जीत रही हूं।
आपका और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्षों पुराना नाता रहा है! उस दौर की कुछ खास यादें?
नरेंद्र मोदी जी, धूमल जी, नड्डा जी और शांता कुमार जी के साथ संगठन में काम करने का नाता रहा है। संगठन मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी जी से काफी कुछ सीखने को मिला। विशेषकर कोई ऐसी याद नहीं है। सारा अनुभव अच्छा रहा। संगठन में मैंने भी 30 साल काम किया, उसमें सबके साथ कार्य करने का अच्छा अनुभव रहा। कोई विशेष खास बात याद नहीं लेकिन जो भी संगठन में काम करके सीखा, उसका बहुत फायदा रहा।
पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में आपकी कोई उपलब्धि, आपने पी.एम. के साथ प्रभारी रहते हुए काम किया, उनके संगठक के रूप में काम करते और आज के संगठन संचालकों की कार्यशैली में क्या अंतर आपको लगा?
पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में शिमला में काम किया था और उस समय निगम के चुनाव थे। लोगों के घर-घर जाकर पार्टी की नीतियों का प्रचार किया था और मेरे साथ 4 लोग और पूर्णकालिक निकले थे। पूर्णकालिक के तौर पर संगठन की बारीकियों को जानने का मौका मिला। उस समय और अब के संगठन में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। तब और अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह उन्होंने जो पार्टी में संगठन के साथ मिलकर नीति और निर्णय लिए हैं, उसके तहत संगठन आज काम कर रहा है। संगठन से तपकर शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी और सभी शीर्ष नेता निकले हैं, हम भी वहीं से निकले हैं। कोई विशेष परिवर्तन नहीं है। पहले से ही संगठन गूढ़ तरीके से धरातल में काम कर रहा है और भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं की पार्टी है।
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